अश्व पूजन (घोड़े की पूजा) - शौर्य, गति और विजय का प्रतीक-1-⚔️🐎🙏🙏🐎⚔️

Started by Atul Kaviraje, October 04, 2025, 09:26:08 PM

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Atul Kaviraje

अश्व पूजन-

इस दिन विजयादशमी/दशहरा है। अश्व पूजन (घोड़े की पूजा) दशहरा के दिन की जाने वाली एक महत्वपूर्ण रस्म है, खासकर शाही और सैन्य परंपराओं में।

अश्व पूजन (घोड़े की पूजा) - शौर्य, गति और विजय का प्रतीक-

तिथि: 02 अक्टूबर, 2025 - गुरुवार (विजया दशमी/दशहरा)

🙏🐎⚔️ शौर्य और कर्म की शक्ति को नमन ⚔️🐎🙏

अश्व पूजन विजयादशमी या दशहरे के महान पर्व का एक अभिन्न और प्राचीन अनुष्ठान है। यह केवल एक घोड़े की पूजा नहीं है, बल्कि उस शक्ति, गति, निष्ठा और शौर्य को नमन है, जिसने अतीत में धर्म की रक्षा और सत्य की विजय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दशहरा विजय का प्रतीक है, और घोड़े हमेशा से युद्ध के मैदान में विजय के सबसे महत्वपूर्ण साधन रहे हैं। इसलिए, यह पूजन उन सभी साधनों के प्रति कृतज्ञता और भक्तिभाव व्यक्त करने का माध्यम है जो हमें जीवन के हर संघर्ष में सफलता की ओर ले जाते हैं।

लेख के 10 प्रमुख बिंदु (उदाहरण, प्रतीक और इमोजी सहित)

1. अश्व पूजन का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व 👑🐎
दशहरे की रस्म: अश्व पूजन मुख्य रूप से दशहरे के दिन आयुध पूजा (शस्त्र पूजा) का ही एक हिस्सा है। राजा-महाराजा अपने सैनिकों और युद्ध में उपयोग होने वाले घोड़ों की विशेष पूजा करते थे।

अर्थ: यह पूजा घोड़ों को मात्र पशु नहीं, बल्कि विजय का कारक और ईश्वरीय शक्ति का वाहन मानकर की जाती है।

प्रतीक: घोड़ा (Horse) 🐴 शक्ति, साहस, गति, और कुलीनता का सार्वभौमिक प्रतीक है।

2. पौराणिक आधार और संदर्भ (Mythological Context) 🏹⭐
राम-रावण युद्ध: भगवान श्री राम की सेना ने भी रावण से युद्ध करने के लिए घोड़ों और रथों का उपयोग किया था। अश्व पूजन इस महान विजय में उनके योगदान को याद दिलाता है।

पांडवों का अज्ञातवास: महाभारत काल में, पांडवों ने अज्ञातवास से निकलने के बाद अपने अस्त्र-शस्त्रों को शमी वृक्ष से निकाला था। यह शस्त्र पूजा, जिसमें घोड़े भी शामिल थे, उनकी विजय यात्रा का आरंभ था।

उदाहरण: 'हैय' (Hayya) ऋषि और दधीचि मुनि के साथ घोड़ों का जुड़ाव उनकी महत्ता को दर्शाता है।

3. शक्ति, गति और निष्ठा का प्रतीक (Symbol of Power, Speed, and Loyalty) 💨🛡�
शक्ति: घोड़ा अदम्य ऊर्जा और अथक प्रयास का प्रतीक है, जो हमें जीवन के लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।

गति: यह दर्शाता है कि सफलता के लिए हमें तेजी और कुशलता से काम करना चाहिए।

निष्ठा: घोड़े अपनी स्वामी भक्ति के लिए प्रसिद्ध हैं, जो हमें अपने कर्तव्यों और आदर्शों के प्रति निष्ठावान रहने की शिक्षा देती है।

4. पूजा विधि और सामग्री (Puja Rituals and Materials) 🌿📿
सजावट: पूजा से पहले घोड़ों को अच्छी तरह से सजाया जाता है। उन्हें साफ करके नए रंगीन वस्त्रों, मोतियों और आभूषणों से अलंकृत किया जाता है।

अनुष्ठान: उन्हें हल्दी, कुमकुम, अक्षत, फूल और शमी पत्तों से तिलक लगाकर उनकी आरती की जाती है। उन्हें गुड़, चने या विशेष भोजन खिलाया जाता है।

इमोजी: माला 📿 और दीपक 🪔, श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक।

5. राजघराने और सैन्य परंपराएँ (Royal and Military Traditions) 💂�♂️🎺
रियासतें: मैसूर का दशहरा इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जहाँ महाराजा आज भी शाही जुलूस (जंबो सवारी) में घोड़ों और हाथियों की पूजा करते हैं।

सैन्य: राजपूत और मराठा सेनाओं में युद्ध से पहले घोड़ों की पूजा करना एक अनिवार्य परंपरा रही है, जो सैनिकों के मनोबल को बढ़ाती थी।

उदाहरण: महाराणा प्रताप का घोड़ा 'चेतक' आज भी निष्ठा और वीरता का सबसे बड़ा उदाहरण है। ⚔️

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-02.10.2025-गुरुवार.
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