देवी भगवती यात्रा-कोटकामते: 'ईनामदार' देवी का शौर्यपूर्ण उत्सव-1-👑 ⚔️ 🏰

Started by Atul Kaviraje, October 04, 2025, 09:48:09 PM

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Atul Kaviraje

देवी भगवती यात्रा-कोटकामते, तालुका-देवगड-

यह तिथि (2 अक्टूबर 2025) विजयादशमी (दशहरा) का महापर्व है, जो देवी भगवती के शारदीय नवरात्रोत्सव का समापन और उनकी यात्रा (उत्सव) का प्रमुख दिवस है।

देवी भगवती यात्रा-कोटकामते: 'ईनामदार' देवी का शौर्यपूर्ण उत्सव-

तिथि: 02 अक्टूबर, 2025 (गुरुवार) - विजयादशमी

👑 ⚔️ 🏰 'जय जगदंबे, आई भगवती!' 🚩 ✨

श्री क्षेत्र कोटकामते (तालुका-देवगड, सिंधुदुर्ग) कोंकण क्षेत्र का एक ऐतिहासिक और अत्यंत जागृत तीर्थस्थल है। यहाँ की देवी भगवती को गाँव की ग्रामदेवता और 'ईनामदार श्री देवी भगवती संस्थान' के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यह गाँव स्वयं देवी को ईनाम (उपहार) के रूप में समर्पित किया गया था। विजयादशमी के दिन यहाँ नवरात्रोत्सव का समापन होता है, जो महिषासुरमर्दिनी माँ की विजय, शौर्य और कोंकणी संस्कृति का अद्भुत संगम है। यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि दर्यासारंग कान्होजी आंग्रे के मराठा इतिहास और कोंकण की 'तरंग' परंपरा की जीवंत मिसाल भी है।

लेख के 10 प्रमुख बिंदु (उदाहरण, प्रतीक और इमोजी सहित)

1. देवी भगवती: शक्ति का शांत स्वरूप (Devi Bhagwati: The Calm Form of Shakti) 🙏
स्वरूप: कोटकामते में देवी भगवती की अत्यंत सुंदर, सुबक और रेखीव (उत्कृष्ट नक्काशीदार) मूर्ती प्रतिष्ठित है।

महात्म्य: माँ भगवती महिषासुरमर्दिनी का शांत और नवसाला पावणारी (मनोकामना पूर्ण करने वाला) स्वरूप हैं, जो कोंकण के भक्तों की कुलस्वामिनी हैं।

इमोजी: हाथ जोड़ना 🙏 और स्त्री शक्ति 👸।

2. मंदिर का ऐतिहासिक और स्थापत्य महत्व (Historical and Architectural Significance) 🏰
निर्माण: मंदिर का निर्माण लगभग 265 से 380 वर्ष पूर्व महान मराठा सेनापति दर्यासारंग कान्होजी आंग्रे ने करवाया था।

शौर्य की गाथा: आंग्रे ने पुर्तगाली हमलों को परास्त करने के बाद देवी को किए गए नवस (मन्नत) के पूरा होने पर यह भव्य मंदिर बनवाया।

उदाहरण: मंदिर के प्रवेशद्वार पर कान्होजी आंग्रे के काल के शिलालेख और दो उलटी गड़ी हुई तोपें (Two inverted cannons) आज भी मौजूद हैं, जो इसके शौर्यपूर्ण इतिहास की साक्षी हैं।

इमोजी: किला/कोटा 🏰 और तोप 💣 (या युद्ध का प्रतीक 🛡�)।

3. 'ईनामदार' संस्थान की विशिष्टता (The Uniqueness of the 'Inamdar' Sansthan) 👑
ग्राम इनाम: कोटकामते गाँव की संपूर्ण भूमि देवी भगवती संस्थान को ईनाम (उपहार/दान) में दी गई है।

कानूनी प्रमाण: गाँव के हर किसान के 7/12 (सातबारा) भूमि रिकॉर्ड पर प्रमुख कब्जेदार के रूप में 'श्री देवी भगवती संस्थान, कोटकामते' का स्पष्ट उल्लेख है।

प्रतीक: मुकुट 👑 और भूमि का नक्शा 🗺�।

4. विजयादशमी (दशहरा) यात्रा और नवरात्रोत्सव (Vijayadashami Yatra and Navratrotsav) 🚩
उत्सव: 02 अक्टूबर 2025 को आश्विन शुद्ध दशमी है, जो शारदीय नवरात्रोत्सव का समापन दिवस है।

यात्रा/डाळपस्वारी: इस दिन देवी की पालखी यात्रा (या तरंगों के साथ डाळपस्वारी - एक प्रकार की गाँव परिक्रमा) निकलती है, जो देवी की विजय का प्रतीक है।

इमोजी: झंडा 🚩 और ढोल 🥁।

5. कोंकण की 'तरंग' संस्कृति (The 'Tarang' Culture of Konkan) 🌊
तरंग: सिंधुदुर्ग जिले की एक विशिष्ट परंपरा है, जिसमें देवता के प्रतीक स्वरूप ऊँचे रंग-बिरंगे ध्वज (या पालखी के आकार के ढांचे) यात्रा में लाए जाते हैं।

देवता: कोटकामते में देवी भगवती के साथ-साथ श्रीदेव रवळनाथ और हनुमान जैसे प्रमुख देवताओं के तरंग भी शामिल होते हैं।

प्रतीक: समुद्र की लहर 🌊 और ऊँचा झंडा 🎏।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-02.10.2025-गुरुवार.
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