देवी भगवती यात्रा-कोटकामते: 'ईनामदार' देवी का शौर्यपूर्ण उत्सव-2-👑 ⚔️ 🏰

Started by Atul Kaviraje, October 04, 2025, 09:48:46 PM

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Atul Kaviraje

देवी भगवती यात्रा-कोटकामते, तालुका-देवगड-

यह तिथि (2 अक्टूबर 2025) विजयादशमी (दशहरा) का महापर्व है, जो देवी भगवती के शारदीय नवरात्रोत्सव का समापन और उनकी यात्रा (उत्सव) का प्रमुख दिवस है।

देवी भगवती यात्रा-कोटकामते: 'ईनामदार' देवी का शौर्यपूर्ण उत्सव-

तिथि: 02 अक्टूबर, 2025 (गुरुवार) - विजयादशमी

👑 ⚔️ 🏰 'जय जगदंबे, आई भगवती!' 🚩 ✨

6. भावई उत्सव का अद्भुत दृश्य (The Wonderful Spectacle of Bhavai Utsav) 💃
भावई: हालाँकि मुख्य भावई उत्सव आषाढ़ी पूर्णिमा के आसपास होता है, नवरात्रि और यात्रा में भी इसका प्रभाव दिखता है। यह एक सामूहिक लोकनृत्य है।

परंपरा: भावई उत्सव में ढोल-ताशा की ताल पर बूढ़े-बच्चे सभी नाचते हैं, जिसमें कभी-कभी कीचड़ में रंगने (चिखलात रंगून) की अनोखी परंपरा भी होती है।

इमोजी: नृत्य 💃 और संगीत नोट 🎶।

7. मंदिर की भव्यता और सभामंडप (The Grandeur of the Temple and the Sabha Mandap) 🏛�
संरचना: मंदिर में एक अत्यंत विशाल सभामंडप है, जिसमें एक बार में 700 से 800 लोग बैठ सकते हैं।

नक्काशी: सभामंडप के लकड़ी के खंभे और उन पर की गई सुंदर कोरीव काम (नक्काशी) कान्होजी आंग्रे के काल की कलात्मकता को दर्शाती है।

उदाहरण: छह विशाल लकड़ी के खंभे छत (तक्तपोशी) को सहारा देते हैं, जो मंदिर की भव्यता का प्रमाण है।

इमोजी: स्तंभ 🏛� और कला 🖼�।

8. देवी पावणाई और बलि परंपरा (Devi Pawanai and the Sacrifice Tradition) 🐔
ग्रामदेवता: श्री देवी पावणाई को भी कोटकामते की एक महत्वपूर्ण ग्रामदेवता माना जाता है।

बलि: पावणाई की जत्रा (उत्सव) में पशु बलि (कोंबड्यांचा बळी - मुर्गों की बलि) की प्रथा है। यह बलि भय से उत्पन्न श्रद्धा का प्रतीक मानी जाती है, ताकि देवी गाँव पर कोई विघ्न न आने दें।

प्रतीक: कुल्हाड़ी 🔪 और मुर्गी 🐔 (केवल प्रथा का प्रतीक)।

9. जलते दिए और सिंह प्रतिमा (Burning Lamps and Lion Idol) 🦁
लामणदिवे: गर्भगृह में देवी की मूर्ती के पास लगातार जलने वाले लामणदिवे (तेल के दीपक) स्थापित हैं, जो देवी की जागृत शक्ति का प्रतीक हैं।

सिंह: मंदिर के सामने देवी के वाहन (वाहन - Lion) की भव्य प्रतिमा है, जिसे एक विशेष कोण से देखने पर देवी भगवती के मुख के दर्शन होते हैं।

इमोजी: दीपक 🪔 और सिंह 🦁।

10. चमत्कारिक आख्यायिकाएँ और श्रद्धा (Miraculous Legends and Devotion) ✨
तीर्थ का आगमन: एक आख्यायिका के अनुसार, कुणकेश्वर यात्रा के दौरान देवी के आदेश पर समुद्र का तीर्थ (पवित्र जल) स्वयं देवी के स्थान तक आया था।

जलती मशाल: एक अन्य कथा में, तेल खत्म होने पर देवी ने पानी से मशाल जलाकर यात्रा पूरी करने का चमत्कार दिखाया था। ये कथाएं भक्तों की अटूट श्रद्धा का आधार हैं।

इमोजी: चमत्कार ✨ और आँसू 🥺 (श्रद्धा के)।

इमोजी सारांश (Emoji Summary) - देवी भगवती यात्रा
👑 ⚔️ 🏰 🚩 🦁 🙏 🌊 🎶 ✨ 👸

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-02.10.2025-गुरुवार.
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