श्री तुळजाभवानी यात्रा-काटीमोड: शक्तिपीठ की आस्था और विजयादशमी का शौर्य-1-🗡️ 🐅

Started by Atul Kaviraje, October 05, 2025, 10:18:27 AM

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Atul Kaviraje

तुळजाभवानी यात्रा-काटीमोड-बेलवंडी बुद्रुक-२, तालुका-श्रीगोंदा, जिल्हा-नगर-

यह तिथि (2 अक्टूबर 2025) विजयादशमी (दशहरा) का महापर्व है, जो महाराष्ट्र की कुलस्वामिनी तुळजाभवानी के शारदीय नवरात्रोत्सव का समापन और उनकी यात्रा (सिमोल्लंघन/पालखी) का प्रमुख दिवस है। यह मंदिर संभवतः तुळजापूर (जिला धाराशिव) की देवी का प्रतीकात्मक स्थान या उपासन क्षेत्र है।

श्री तुळजाभवानी यात्रा-काटीमोड: शक्तिपीठ की आस्था और विजयादशमी का शौर्य-

तिथि: 02 अक्टूबर, 2025 (गुरुवार) - विजयादशमी

भवानी 🗡� 🐅 🚩 'तुळजाभवानी मातेचा उदो उदो!' 🙏 ✨

काटीमोड-बेलवंडी बुद्रुक-2 (तालुका-श्रीगोंदा, अहमदनगर) में स्थित श्री तुळजाभवानी देवी का मंदिर इस क्षेत्र के लिए एक जागृत शक्तिपीठ के समान है। हालाँकि, महाराष्ट्र की कुलस्वामिनी तुळजाभवानी का मुख्य मंदिर तुळजापूर (धाराशिव) में है, लेकिन श्रीगोंदा तालुका के इस क्षेत्र में स्थित यह मंदिर भवानी देवी के प्रति स्थानीय भक्तों की गहरी और अटूट आस्था को दर्शाता है। 02 अक्टूबर 2025 को विजयादशमी के दिन, जो नवरात्रोत्सव का अंतिम चरण है, यहाँ देवी की विजय और सिमोल्लंघन (सीमोल्लंघन) का पर्व अत्यंत शौर्य और भक्तिभाव के साथ मनाया जाता है।

लेख के 10 प्रमुख बिंदु (उदाहरण, प्रतीक और इमोजी सहित)

1. तुळजाभवानी: महाराष्ट्र की कुलस्वामिनी (Tuljabhavani: Kulswamini of Maharashtra) 👸
देवी का स्वरूप: तुळजाभवानी आदिशक्ति पार्वती का ही एक रूप और महिषासुर मर्दिनी के रूप में पूजी जाती हैं। उन्हें शक्ति, पराक्रम और मातृत्व का प्रतीक माना जाता है।

अहमियत: वह छत्रपति शिवाजी महाराज की कुलदेवता हैं, और इसलिए मराठी संस्कृति में उनका स्थान सर्वोच्च है।

इमोजी: देवी का मुकुट 👸 और तलवार 🗡�।

2. विजयादशमी: सिमोल्लंघन का पर्व (Vijayadashami: Festival of Seemollanghan) 🚩
उत्सव: 02 अक्टूबर 2025 को मनाए जाने वाले इस पर्व को स्थानीय रूप से सिमोल्लंघन उत्सव कहा जाता है, जिसका अर्थ है सीमा को लांघना (विजय के लिए आगे बढ़ना)।

परंपरा: इस दिन, देवी की पालखी को मंदिर परिसर या गाँव की सीमा पर ले जाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय और नए कार्यों के शुभारंभ का प्रतीक है।

इमोजी: झंडा 🚩 और धनुष-बाण 🏹।

3. काटीमोड-बेलवंडी: आस्था का स्थानीय केंद्र (Katimod-Belvandi: Local Center of Faith) 🏡
संदर्भ: यह मंदिर तुळजापूर की मुख्य देवी का उपासन पीठ (वह स्थान जहाँ भक्त मुख्य शक्तिपीठ के बजाय प्रतीकात्मक रूप से देवी की पूजा करते हैं) या एक प्राचीन स्थानीय मंदिर हो सकता है।

ग्रामीण श्रद्धा: श्रीगोंदा तालुका के इस ग्रामीण क्षेत्र में, तुळजाभवानी देवी का यह मंदिर स्थानीय किसानों और ग्रामीणों के लिए सबसे बड़ा आश्रय और प्रेरणा का स्रोत है।

इमोजी: गाँव 🏘� और प्रतीक मंदिर 🛕।

4. पालखी और शोभायात्रा (Palkhi and Shobhayatra) 🥁
शोभा: विजयादशमी के दिन देवी की पालखी को फूलों और आभूषणों से सजाया जाता है। इस शोभायात्रा में भक्त हल्दी-कुमकुम और भंडारे (पीला पाउडर) की उधळण करते हैं।

वाद्य: यात्रा में पारंपरिक ढोल, ताशा और लेझिम जैसे वाद्य यंत्रों का उपयोग किया जाता है, जो उत्सव के माहौल को भक्तिमय और ऊर्जावान बनाते हैं।

इमोजी: ढोल 🥁 और पीला भंडार 💛 (प्रतीकात्मक)।

5. नवरात्र का समापन और निद्रा (Navratra End and Nidra) 😴
निद्रा/सिंहासन महापूजा: मुख्य तुळजाभवानी मंदिर (तुळजापूर) में दशमी के आसपास देवी की सिंहासन महापूजा होती है और उन्हें निद्रा (विश्राम) दी जाती है, जिसका स्थानीय मंदिरों में भी प्रतीकात्मक रूप से पालन किया जाता है।

घट विसर्जन: नौ दिनों तक स्थापित घट (कलश) का विजयादशमी को शुभ मुहूर्त पर विसर्जन किया जाता है।

इमोजी: आँखें बंद करना 😴 और घट 🏺।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-02.10.2025-गुरुवार.
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