भवानी यात्रा-सावर्डे, तालुका-तासगाव-1-🔱 💖 ⛰️ 🥁 🏡 🤝 🌟 🗡️ 👑

Started by Atul Kaviraje, October 05, 2025, 10:34:41 AM

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Atul Kaviraje

भवानी यात्रा-सावर्डे, तालुका-तासगाव-

प्राप्त जानकारी के अनुसार, सावर्डे में भवानी देवी का एक प्राचीन और जागृत मंदिर है। हालाँकि यात्रा की निश्चित तिथि उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसे 03 अक्टूबर, 2025 (शुक्रवार) को मानते हुए, भक्ति-भावपूर्ण रचना प्रस्तुत की जाएगी, जो इस शुभ अवसर के लिए बिल्कुल उपयुक्त है।

श्री भवानी यात्रा: सावर्डे, तालुका तासगाँव, जिला सांगली (03 अक्टूबर, 2025 - शुक्रवार)
महाराष्ट्र के सांगली जिले में, तासगाँव तालुका की पवित्र भूमि पर स्थित सावर्डे गाँव, अपने जागृत देवस्थान श्री भवानी देवी के कारण विशेष महत्व रखता है। यह मंदिर शेकोबा डोंगर की तलहटी में, निसर्गरम्य (प्राकृतिक रूप से सुंदर) वातावरण में स्थित है और लगभग 500 वर्ष पुराना माना जाता है। देवी भवानी की यह भवानी यात्रा (भवानी उत्सव) केवल एक धार्मिक मेला नहीं, बल्कि भक्ति, शक्ति और सामाजिक संगठन का एक अद्भुत संगम है।

1. उत्सव का परिचय और तिथि 🚩
देवता: श्री भवानी देवी (सावर्डे की ग्रामदैवत)।

उत्सव का नाम: भवानी यात्रा या भवानी उत्सव।

समय: यह यात्रा आमतौर पर देवी के वार्षिक उत्सव के दौरान आयोजित की जाती है।

तिथि (माना गया): 03 अक्टूबर, 2025, शुक्रवार (भक्ति के लिए शुभ तिथि)।

2. भवानी देवी का इतिहास और महत्व 📜
मंदिर की प्राचीनता: भवानी देवी का मंदिर 500 वर्षों से भी अधिक पुराना है, जो इस क्षेत्र की गहरी आध्यात्मिक जड़ों को दर्शाता है।

स्थान: मंदिर शेकोबा डोंगर (पहाड़ी) के पास स्थित है, जिसके कारण यह स्थान प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व का केंद्र बन जाता है।

शक्ति का प्रतीक: देवी भवानी, आदि शक्ति का रूप हैं और भक्तों के लिए शौर्य, साहस और मातृत्व का प्रतीक हैं।

3. भक्ति-भाव का माहौल (जागृत श्रद्धा) 💖
जागृत देवस्थान: स्थानीय लोगों का अटूट विश्वास है कि देवी का यह स्थान जागृत है, और देवी सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी करती हैं।

निसर्गरम्य वातावरण: पहाड़ की तलहटी का शांत और सुंदर वातावरण भक्तों को शांति और एकाग्रता प्रदान करता है, जिससे उनकी भक्ति और गहरी होती है।

उदाहरण: भक्त अपनी मुराद पूरी होने पर देवी को साड़ी, नारियल और चूड़ियाँ अर्पित करते हैं।

4. पारंपरिक अनुष्ठान और पूजा विधि ✨
महाभिषेक: यात्रा के दिन देवी का महाभिषेक होता है, जिसमें दूध, दही, शहद और पवित्र जल का उपयोग किया जाता है।

अलंकरण: देवी की मूर्ति का विशेष श्रृंगार किया जाता है, उन्हें सोने-चाँदी के आभूषण और लाल वस्त्रों से सजाया जाता है।

आरती: सुबह और शाम के समय भव्य आरती का आयोजन होता है, जिसमें सैकड़ों भक्त भाग लेते हैं।

5. यात्रा और शोभायात्रा का स्वरूप 🥁
भव्य शोभायात्रा: उत्सव के दौरान देवी की पालखी या शोभायात्रा गाँव में निकाली जाती है।

पारंपरिक वाद्य: शोभायात्रा में ढोल-ताशा, झाँझ और लेझिम जैसे पारंपरिक महाराष्ट्रीयन वाद्ययंत्रों का गजर (ऊँची आवाज) होता है।

सिंबल: पालखी (यात्रा) और त्रिशूल (देवी का शस्त्र)। ⛩️🔱

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(Trishul: Bhawani Devi) (Heart: Bhakti/Shraddha) (Mountain: Shekoba Dongar) (Drum: Dhol-Tasha/Utsav) (House: Gram/Community) (Handshake: Unity/Samarasata) (Star: Ashirwad/Jagrut Devsthan) (Sword: Shakti/Shaurya) (Crown: Adishakti)

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-03.10.2025-शुक्रवार.
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