शनि प्रदोष- हिंदी लेख: शनि प्रदोष व्रत - भक्ति, कृपा और कल्याण-1-

Started by Atul Kaviraje, October 06, 2025, 10:46:52 AM

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Atul Kaviraje

शनि प्रदोष-

हिंदी लेख: शनि प्रदोष व्रत - भक्ति, कृपा और कल्याण-

दिनांक: 04 अक्टूबर, 2025 (शनिवार)
पर्व: शनि प्रदोष व्रत
भाव: भक्ति भाव पूर्ण, विस्तृत एवं विवेचनपरक

सार: आज, 04 अक्टूबर 2025, शनिवार के दिन, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर शनि प्रदोष व्रत का पावन संयोग है। यह दिन भगवान शिव 🔱 और न्याय के देवता शनिदेव 🪐 की एक साथ उपासना का अत्यंत दुर्लभ और शुभ अवसर है। इस व्रत का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह भगवान शिव की कृपा से शनि दोषों को शांत करने का अचूक उपाय है। संतान सुख, दीर्घायु, सुख-समृद्धि और कष्टों से मुक्ति के लिए यह व्रत विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। इस लेख में हम शनि प्रदोष व्रत के महत्व, पूजा विधि, कथा और उससे जुड़े कल्याणकारी पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डालेंगे।

1. शनि प्रदोष व्रत का परिचय
(Introduction to Shani Pradosh Vrat)

1.1 तिथि और संयोग: जब त्रयोदशी तिथि (प्रदोष व्रत) शनिवार के दिन पड़ती है, तो इसे शनि प्रदोष व्रत कहते हैं। यह संयोग भगवान शिव और शनिदेव दोनों की पूजा के लिए उत्तम माना जाता है।

1.2 प्रदोष काल का महत्व: 'प्रदोष' का अर्थ है रात्रि का आरंभ। यह वह समय होता है जब भगवान शिव कैलाश पर नृत्य करते हैं। सूर्यास्त के बाद और रात्रि से पहले का यह समय (प्रदोष काल) शिव पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

1.3 द्विपुष्कर योग: 04 अक्टूबर 2025 के इस शनि प्रदोष पर द्विपुष्कर योग का शुभ संयोग भी बन रहा है, जिससे इस दिन किए गए पूजा-पाठ और दान का फल दोगुना हो जाता है। 🌟

1.4 उद्देश्य: यह व्रत मुख्य रूप से संतान प्राप्ति (निसंतान दंपत्तियों के लिए) और शनि के अशुभ प्रभावों (जैसे साढ़ेसाती और ढैया) को कम करने के लिए किया जाता है।

2. शनि प्रदोष व्रत का महत्व
(Significance of Shani Pradosh Vrat)

2.1 शिव-शनि कृपा: मान्यता है कि शनिदेव ने भगवान शिव को अपना गुरु मानकर कठोर तपस्या की थी, जिसके फलस्वरूप शिवजी ने उन्हें न्यायाधीश ⚖️ का पद दिया। इसलिए शनि प्रदोष पर शिवजी की पूजा से शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं।

2.2 संतान सुख की प्राप्ति: पौराणिक कथाओं के अनुसार, शनि प्रदोष का व्रत करने से निसंतान दंपत्तियों को संतान का वरदान प्राप्त होता है। इसे पुत्र प्रदोष भी कहा जाता है। 👨�👩�👧�👦

2.3 शनि दोष निवारण: जिन जातकों पर शनि की साढ़ेसाती, ढैया या कुंडली में कोई अन्य शनि दोष है, उनके लिए यह व्रत कष्टों से मुक्ति और जीवन में स्थिरता लाने का महाउपाय है।

2.4 मनोकामना पूर्ति: सच्चे मन से भक्ति करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उन्हें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

3. पूजा सामग्री और तैयारी
(Pooja Samagri and Preparation)

3.1 शिव पूजा सामग्री: शिव-पार्वती की प्रतिमा/चित्र, शिवलिंग, बेलपत्र 🌿, धतूरा, आक के फूल, भांग, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), चंदन, धूप-दीप।

3.2 शनि पूजा सामग्री: सरसों का तेल, काले तिल, काले वस्त्र, लोहे की वस्तु, पीपल के पत्ते।

3.3 व्रत संकल्प: सुबह स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र (हो सके तो नीला) पहनकर, हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें।

3.4 शुद्धिकरण: पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें और भगवान शिव तथा माता पार्वती की विधिपूर्वक स्थापना करें।

4. शनि प्रदोष व्रत की विधि (प्रातःकाल)
(Shani Pradosh Vrat Ritual - Morning)

4.1 ब्रह्म मुहूर्त में जागरण: सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें।

4.2 संकल्प: भगवान शिव और शनिदेव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।

4.3 अभिषेक: शिवलिंग पर पंचामृत या शुद्ध जल से अभिषेक करें। "ॐ नमः शिवाय" का जाप करें।

4.4 दान का महत्व: व्रत के दिन गरीबों और ज़रूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करना अत्यंत शुभकारी होता है। 🙏

5. शनि प्रदोष व्रत की विधि (प्रदोष काल)
(Shani Pradosh Vrat Ritual - Pradosh Kaal)

5.1 पुन: स्नान: सूर्यास्त से ठीक पहले पुन: स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

5.2 शिव पूजा: प्रदोष काल (शाम 06:03 बजे से 08:30 बजे तक शुभ मुहूर्त) में भगवान शिव की पूजा आरंभ करें। शिवलिंग पर चंदन, बेलपत्र, धतूरा आदि अर्पित करें।

5.3 आरती और क्षमा याचना: शिव-पार्वती की विधिवत आरती करें और जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना करें।

5.4 व्रत कथा: इस समय शनि प्रदोष व्रत की कथा का श्रवण या पाठ करना अनिवार्य माना गया है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-04.10.2025-शनिवार.
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