सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली: चुनौतियाँ और सुधार की आवश्यकता-1-

Started by Atul Kaviraje, October 06, 2025, 10:57:57 AM

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Atul Kaviraje

सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली: चुनौतियाँ और सुधार की आवश्यकता-

हिंदी लेख: सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली: चुनौतियाँ और सुधार की आवश्यकता-

विषय: सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली: चुनौतियाँ और सुधार की आवश्यकता (Public Health System: Challenges and Need for Reform)
भाव: गंभीर, विवेचनपरक एवं समाधान-उन्मुख

सार: किसी भी राष्ट्र की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली 🏥 उसके नागरिकों के स्वास्थ्य और कल्याण का आधार होती है। भारत जैसे विशाल और विविध देश में, यह प्रणाली गरीब और ग्रामीण आबादी के लिए जीवनरेखा है। हालाँकि, यह प्रणाली बुनियादी ढाँचे की कमी, अपर्याप्त फंडिंग, डॉक्टर-रोगी अनुपात में असंतुलन और तकनीकी पिछड़ेपन जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है। इन चुनौतियों के कारण स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और पहुँच प्रभावित होती है। एक स्वस्थ राष्ट्र के निर्माण के लिए इस प्रणाली में तत्काल और व्यापक सुधार करना अत्यंत आवश्यक है, ताकि समावेशी और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ सभी नागरिकों को समान रूप से उपलब्ध हो सकें।

1. सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली का महत्व और वर्तमान स्थिति
(Importance and Current Status of Public Health System)

1.1 आधारभूत स्तंभ: सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली समानता और सामाजिक न्याय का सिद्धांत सुनिश्चित करती है, ताकि आर्थिक स्थिति के बावजूद सभी को उपचार मिल सके।

1.2 ग्रामीण क्षेत्रों में जीवनरेखा: देश की 70% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जहाँ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHCs) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHCs) ही स्वास्थ्य सेवाओं का एकमात्र स्रोत हैं।

1.3 वर्तमान खर्च: भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का एक बहुत छोटा हिस्सा (लगभग 1.5% से 2%) ही सार्वजनिक स्वास्थ्य पर खर्च करता है, जो वैश्विक मानकों से काफी कम है। 📉

1.4 प्रमुख ध्यान: वर्तमान में, प्रणाली का अधिकांश ध्यान उपचारात्मक स्वास्थ्य (Curative Health) पर है, जबकि निवारक स्वास्थ्य (Preventive Health) उपेक्षित है।

2. वित्तीय चुनौतियाँ और अपर्याप्त आवंटन
(Financial Challenges and Inadequate Allocation)

2.1 कम बजटीय आवंटन: स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए पर्याप्त बजटीय आवंटन न होने के कारण बुनियादी ढाँचे का विकास और तकनीकी उन्नयन रुक जाता है।

2.2 आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय: कम सरकारी खर्च के कारण नागरिकों को अपनी जेब से अधिक खर्च करना पड़ता है, जिससे कई परिवार गरीबी रेखा से नीचे चले जाते हैं।

उदाहरण: गंभीर बीमारियों के इलाज पर अक्सर गरीब परिवारों की पूरी बचत खत्म हो जाती है।

2.3 बीमा कवरेज की कमी: हालाँकि आयुष्मान भारत जैसी योजनाएँ हैं, फिर भी एक बड़े वर्ग के पास अभी भी पर्याप्त स्वास्थ्य बीमा कवरेज नहीं है।

2.4 उपकरण खरीद में बाधा: अपर्याप्त फंडिंग के कारण सरकारी अस्पतालों में आधुनिक चिकित्सा उपकरण 🔬 और आवश्यक दवाइयाँ 💊 उपलब्ध नहीं हो पाती हैं।

3. बुनियादी ढाँचे और सुविधाओं की कमी
(Lack of Infrastructure and Facilities)

3.1 अपर्याप्त बिस्तर: भारत में प्रति हजार व्यक्तियों पर बिस्तरों की संख्या विकसित देशों की तुलना में काफी कम है, जिससे महामारी जैसी स्थितियों में भारी दबाव पड़ता है।

3.2 PHCs और CHCs की स्थिति: अधिकांश प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीण क्षेत्रों में हैं, जहाँ भवन जर्जर, बिजली और पानी की आपूर्ति अनियमित तथा स्वच्छता का अभाव है।

3.3 तकनीकी पिछड़ेपन: कई सरकारी अस्पतालों में आधुनिक निदान उपकरण (जैसे MRI, CT स्कैन) या तो हैं नहीं, या ठीक से काम नहीं करते हैं।

3.4 कोल्ड चेन का अभाव: विशेषकर टीकाकरण कार्यक्रमों 💉 के लिए कोल्ड चेन सुविधाओं का अभाव दूरदराज के क्षेत्रों में एक बड़ी चुनौती है।

4. मानव संसाधन का संकट (डॉक्टर और नर्स)
(Human Resource Crisis - Doctors and Nurses)

4.1 डॉक्टर-रोगी अनुपात: भारत में डॉक्टर-रोगी अनुपात विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा अनुशंसित 1:1000 के मानक से काफी कम है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।

4.2 ग्रामीण क्षेत्रों में तैनाती का अभाव: अधिकांश डॉक्टर और विशेषज्ञ शहरी क्षेत्रों में काम करना पसंद करते हैं, जिससे ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएँ विशेषज्ञों की कमी से जूझती हैं।

4.3 नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी: डॉक्टरों के साथ-साथ प्रशिक्षित नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ 🧑�⚕️ की भी भारी कमी है, जिससे मौजूदा कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ जाता है।

4.4 प्रशिक्षण की गुणवत्ता: चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता है, ताकि वे ग्रामीण स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हो सकें।

5. गुणवत्ता और विश्वसनीयता की समस्या
(Problem of Quality and Reliability)

5.1 दवाइयों की उपलब्धता: सरकारी अस्पतालों में अक्सर जरूरी दवाइयों का स्टॉक खत्म हो जाता है, जिससे मरीजों को बाहर से महँगी दवाइयाँ खरीदनी पड़ती हैं।

5.2 अस्वच्छता: कई सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में स्वच्छता और संक्रमण नियंत्रण की कमी होती है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। 🦠

5.3 जवाबदेही का अभाव: सेवाओं की गुणवत्ता और कर्मचारियों की जवाबदेही (Accountability) तय करने के लिए ठोस तंत्र का अभाव है।

5.4 निजी क्षेत्र की ओर पलायन: सार्वजनिक प्रणाली की खराब गुणवत्ता के कारण, सक्षम परिवार मजबूरी में निजी अस्पतालों की ओर रुख करते हैं, जो खर्च बढ़ाता है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-04.10.2025-शनिवार.
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