🙏 धुळगावकर महाराज जयंती - नृसिंहवाडी 🙏-1-🎉, 🗓️, 🎁🪔, 🧘‍♂️, 👑🛶, 🌊, 🌳

Started by Atul Kaviraje, October 06, 2025, 02:21:56 PM

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Atul Kaviraje

धुळगावकर महाराज जयंती-नृसिंहवाडी-

🙏 धुळगावकर महाराज जयंती - नृसिंहवाडी 🙏-

दिनांक: 05 अक्टूबर, 2025 (रविवार)

भक्ति भावपूर्ण, विवेचनपरक एवं विस्तृत लेख
श्री क्षेत्र नृसिंहवाडी (नरसोबाची वाडी) महाराष्ट्र के कोल्हापुर ज़िले में, कृष्णा और पंचगंगा नदियों के पवित्र संगम पर स्थित एक अत्यंत महत्वपूर्ण दत्त क्षेत्र है। यह वह पावन भूमि है जहाँ भगवान दत्तात्रेय के पूर्णावतार श्री नृसिंह सरस्वती स्वामी ने 12 वर्षों तक वास किया और तपस्या की। इसी पवित्र क्षेत्र से जुड़े हैं श्री म्हादबा पाटील (धुळगावकर) महाराज, जिन्हें कई भक्त श्री नृसिंह सरस्वती का ही अवतार मानते हैं। उनकी जयंती (जन्मदिवस) आश्विन शुद्ध त्रयोदशी को मनाई जाती है। चूँकि 05 अक्टूबर, 2025 को आश्विन शुद्ध त्रयोदशी है, इसलिए इस दिन उनकी जयंती का उत्सव भक्ति और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है।

यहाँ श्री धुळगावकर महाराज जयंती और नृसिंहवाडी के महत्व पर 10 प्रमुख बिंदुओं में विस्तृत विवेचन प्रस्तुत है:

1. 🚩 श्री म्हादबा पाटील (धुळगावकर) महाराज का परिचय
जन्म और पहचान: उनका जन्म 9 अक्टूबर, 1916 (आश्विन शुद्ध त्रयोदशी) को सांगली जिले के धुळगाव में हुआ था। उन्हें उनके गाँव के नाम पर 'धुळगावकर महाराज' कहा जाता है।

दत्त भक्त परिवार: उनके पिताजी, श्री बाबगोंडा पाटील, एक गहन दत्त भक्त थे और हर पूर्णिमा को नृसिंहवाडी दर्शन के लिए जाते थे।

अवतार रूप: भक्तों का दृढ़ विश्वास है कि श्री नृसिंह सरस्वती ने ही उनकी कोख से पुन: अवतार लिया था।

2. ✨ विदेही अवस्था और लोक-कल्याण
विदेही स्वरूप: महाराज निरंतर एक विदेही (देह-भान रहित) अवस्था में रहते थे, जो उनकी उच्च आध्यात्मिक स्थिति को दर्शाता है।

निष्काम सेवा: उन्होंने जीवन भर किसी भी प्रकार का धन (रुपया) स्पर्श नहीं किया और न ही अपने पास रखा, जो उनकी निरीच्छता (इच्छा रहित) को सिद्ध करता है।

भक्तों का कष्ट निवारण: उनका जीवन भक्तों के कष्टों को दूर करने और उन्हें सही मार्ग दिखाने में समर्पित रहा।

3. 👣 नृसिंहवाडी से गहन संबंध
आस्था का केंद्र: नृसिंहवाडी महाराज की आस्था का केंद्र था। उनके माता-पिता नियमित रूप से यहाँ आते थे, और महाराज का स्वयं यहाँ से गहरा आध्यात्मिक जुड़ाव रहा।

समाधि स्थल: उन्होंने 6 जून, 1982 (ज्येष्ठ पूर्णिमा) को नृसिंहवाडी में ही समाधि ली, जिससे यह स्थान उनके भक्तों के लिए परम पूजनीय तीर्थ बन गया।

समाधि मंदिर: उनके परम शिष्यों, विशेषकर पद्मश्री डॉ. डी. वाय. पाटील साहब ने, नृसिंहवाडी में उनका भव्य समाधि मंदिर और मठ बनवाया।

4. 🌟 श्री क्षेत्र नृसिंहवाडी का महात्म्य
दत्त राजधानी: नृसिंहवाडी को दत्त महाराजांची राजधानी (भगवान दत्तात्रेय की राजधानी) कहा जाता है।

कृष्णा-पंचगंगा संगम: यह क्षेत्र कृष्णा और पंचगंगा नदियों के पवित्र संगम के कारण अत्यंत पावन माना जाता है। इस संगम का दर्शन और स्नान विशेष पुण्यदायी है।

मनोहर पादुका: यहाँ श्री नृसिंह सरस्वती द्वारा स्थापित मनोहर पादुका की पूजा होती है, जो दत्त भक्तों के लिए साक्षात दत्त दर्शन के समान है।

5. 🗓� जयंती का उत्सव और तिथि (आश्विन शुद्ध त्रयोदशी)
जन्मदिवस का उत्सव: आश्विन शुद्ध त्रयोदशी को महाराज का जन्म दिवस उनकी जयंती के रूप में मनाया जाता है।

भक्तिमय आयोजन: इस दिन उनके जन्मस्थान धुळगाव और समाधि स्थल नृसिंहवाडी में विशेष धार्मिक कार्यक्रम, महापूजा, भजन-कीर्तन और अन्नदान का आयोजन होता है।

गुरु परंपरा का स्मरण: यह दिन गुरु-शिष्य परंपरा और गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का भी अवसर होता है।

🖼� प्रतीक, चिन्ह और इमोजी सारांश 🪔
श्रेणी   प्रतीक/चिन्ह   इमोजी   सारांश
महाराज   🙏   🪔, 🧘�♂️, 👑   संत, वैराग्य, गुरु
नृसिंहवाडी   🏞�   🛶, 🌊, 🌳   संगम, दत्त राजधानी, औदुंबर वृक्ष
भक्ति   💖   🕉�, 🔔, ✨   श्रद्धा, पूजा, कृपा
जयंती   🎂   🎉, 🗓�, 🎁   जन्मोत्सव, मंगल दिवस

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-05.10.2025-रविवार.
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