कर्म, धर्म और जीवन दर्शन का शाश्वत ज्ञान।-कर्मयोगी कृष्ण- 🕉️🙏💡

Started by Atul Kaviraje, October 10, 2025, 11:51:26 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

कर्म, धर्म और जीवन दर्शन का शाश्वत ज्ञान।-

हिंदी कविता: कर्मयोगी कृष्ण-
🕉�🙏💡

चरण (Stanza)   कविता (Poem)   चरण का हिंदी अर्थ (Meaning)

I   कुरुक्षेत्र में सारथी बने, कृष्ण भगवान, 🏹 भ्रमित अर्जुन को दिया सच्चा ज्ञान। जीवन का रथ, कर्म ही उसकी धुरी है, गीता है ज्ञान, हर श्लोक ज़रूरी है।   
हिंदी अर्थ: भगवान कृष्ण युद्धभूमि (कुरुक्षेत्र) में अर्जुन के सारथी बने। उन्होंने भ्रम में पड़े अर्जुन को जीवन का सच्चा ज्ञान दिया। जीवन रूपी रथ का केंद्रबिंदु (धुरी) कर्म ही है, और गीता का हर उपदेश बहुत आवश्यक है।   

II   कर्म करो तुम, फल की चाह न हो, स्वधर्म निभाओ, जीवन राह न खो। योग है कुशलता, कर्म में संतुलन, निष्काम सेवा ही है सच्चा अर्पण।   
हिंदी अर्थ: तुम अपना कर्म करते रहो, उसके फल (परिणाम) की इच्छा मत करो। अपने कर्तव्य (स्वधर्म) का पालन करते हुए जीवन के मार्ग से विचलित न हो। योग का अर्थ है कर्मों में कुशलता और संतुलन। निस्वार्थ भाव से की गई सेवा ही सच्चा समर्पण है।   

III   न यह तेरा, न यह मेरा है कुछ, आत्मा अजर है, बस शरीर है तुच्छ। जो बीत गया, भूलकर आगे बढ़ो, वर्तमान के सत्य से ना तुम लड़ो।   
हिंदी अर्थ: इस संसार में कोई भी वस्तु तुम्हारी या मेरी नहीं है। आत्मा अमर है, केवल शरीर नश्वर (तुच्छ) है। जो समय या घटनाएँ बीत चुकी हैं, उन्हें भूलकर जीवन में आगे बढ़ो। वर्तमान क्षण के सत्य को स्वीकार करो, उससे संघर्ष न करो।   

IV   मन को बनाओ अपना सच्चा मित्र, 🧘 इंद्रियों पर रखो तुम अपना चित्र। अहंकार को त्याग, बनो तुम विनम्र, ज्ञान और भक्ति से पाओ परब्रह्म।   
हिंदी अर्थ: अपने मन को नियंत्रित करके उसे अपना सच्चा साथी बनाओ। अपनी इंद्रियों (आँख, कान आदि) पर नियंत्रण रखो। अहंकार को छोड़कर विनम्रता अपनाओ। ज्ञान, कर्म और भक्ति के मार्ग से परमपिता परमात्मा को प्राप्त करो।   

V   परिस्थितियाँ हैं सदा बदलती, सुख और दुःख की छाया चलती। समता रखो मन में, न हो विचलित, विश्वास ही है शक्ति, सदा संचलित।   
हिंदी अर्थ: जीवन की परिस्थितियाँ हमेशा बदलती रहती हैं। सुख और दुःख दोनों ही छाया की तरह आते-जाते रहते हैं। अपने मन में संतुलन (समता) बनाए रखो, विचलित मत होओ। ईश्वर पर विश्वास ही वह शक्ति है, जो तुम्हें हमेशा आगे बढ़ाती है।   

VI   क्रोध है शत्रु, बुद्धि का है नाश, कर्म की गति है अत्यंत गहन, ख़ास। धर्म-पथ पर चलो, न डगमगाओ, कर्म-अकर्म का मर्म समझ जाओ।   
हिंदी अर्थ: क्रोध सबसे बड़ा शत्रु है, क्योंकि यह बुद्धि को नष्ट करता है। कर्म के नियम (गति) बहुत गहरे और महत्वपूर्ण हैं। अपने कर्तव्य-मार्ग पर चलो और कभी भी विचलित न होओ। सही कर्म और अकर्म (निष्क्रियता) के रहस्य को समझो।   

VII   कृष्ण की वाणी, जीवन का ये सार, 📖 गीता है माता, करती दुःख से पार। इसे पढ़ो, समझो और जीवन में लाओ, फिर चुनौती को तुम चुनौती ही न पाओ।   
हिंदी अर्थ: भगवान कृष्ण का यह उपदेश जीवन का सार है। गीता माता के समान है, जो हमें दुःखों से मुक्ति दिलाती है। इस ज्ञान को पढ़ो, समझो और अपने जीवन में लागू करो। फिर तुम्हारे सामने कोई भी कठिनाई, कठिनाई नहीं लगेगी।   

--अतुल परब
--दिनांक-08.10.2025-बुधवार.
===========================================