आयम्बील ओळी समाप्ती-जैन-"आयम्बील ओळी की तपस्या"-

Started by Atul Kaviraje, October 10, 2025, 04:50:38 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

आयम्बील ओळी समाप्ती-जैन-

आयम्बील ओळी समाप्ती (नवपद ओळी): आत्म-साधना का महापर्व-

हिंदी कविता: "आयम्बील ओळी की तपस्या"-

चरण 1: नवपद का आह्वान 🕉�
आश्विन की पूर्णिमा आई, तप का हुआ विधान।
नवपद ओळी का पर्व, है जैन धर्म की शान।
अरिहंत, सिद्ध, आचार्य को, देते हम सम्मान।
आओ मिलकर करें साधना, पाएं आत्म कल्याण।
हिन्दी अर्थ: आश्विन महीने की पूर्णिमा आ गई है, और तपस्या का विधान पूरा हुआ। नवपद ओळी का यह पर्व जैन धर्म का गौरव है। हम अरिहंत, सिद्ध और आचार्य को सम्मान देते हैं और आत्म-कल्याण के लिए साधना करते हैं।

चरण 2: संयम की कठिन डगर 😷
नौ दिन का यह कठिन तप, आयम्बील कहलाता।
छह रसों का त्याग यहाँ, स्वाद को ठुकराता।
न तेल, न घी, न मीठा, तन को खूब तपाता।
संयम की कठिन डगर पर, तपस्वी हर्ष मनाता।
हिन्दी अर्थ: नौ दिन की यह कठिन तपस्या आयम्बील कहलाती है। इसमें छह प्रकार के रसों (स्वादों) का त्याग करके स्वाद की इच्छा को ठुकराया जाता है। तेल, घी और मीठे का त्याग करके शरीर को तपाया जाता है, और तपस्वी इस संयम के मार्ग पर खुशी मनाते हैं।

चरण 3: कर्मों की हो निर्जरा 🔥
मन-वचन-काया की शुद्धि, ध्यान से होती है।
हर कण में प्रभु का वास, श्रद्धा मन में होती है।
आत्मा से कर्मों की परत, तप से कटती है।
निर्जरा की शक्ति से, मोक्ष की राह खुलती है।
हिन्दी अर्थ: मन, वचन और शरीर की शुद्धि ध्यान से प्राप्त होती है। हृदय में यह विश्वास होता है कि हर कण में भगवान का वास है। तपस्या से आत्मा पर जमे हुए कर्मों की परत कटती है और कर्मों के क्षय (निर्जरा) से मोक्ष का मार्ग खुलता है।

चरण 4: ज्ञान का दीप जलाओ 📖
सम्यक् दर्शन, ज्ञान, चारित्र, तप के ये चार आधार।
इनकी पूजा से मिटते हैं, भव-भव के अंधकार।
शास्त्रों का स्वाध्याय करें, गुरु का लें उपकार।
ज्ञान का दीप जलाकर, करें आत्म का उद्धार।
हिन्दी अर्थ: सम्यक् दर्शन, ज्ञान, चारित्र और तप (चारित्र्य) ये चार आधार हैं। इनकी आराधना से जन्म-जन्म के अंधकार मिटते हैं। हमें शास्त्रों का अध्ययन करना चाहिए और गुरुओं का आशीर्वाद लेना चाहिए, ताकि ज्ञान का दीपक जलाकर अपनी आत्मा का उद्धार कर सकें।

चरण 5: नवधा भक्ति का सार 💖
अरिहंत पद की वंदना, सिद्धों का जयकार।
आचार्य, उपाध्याय, साधु को, शत-शत नमस्कार।
नवधा भक्ति का यह सार, देता हमें आधार।
वीतराग की वाणी सुन, मिले सच्चा उद्धार।
हिन्दी अर्थ: अरिहंत पद की वंदना करो और सिद्धों का जयकारा लगाओ। आचार्य, उपाध्याय और साधु को सौ-सौ बार नमस्कार है। नौ प्रकार की भक्ति का यह सार हमें जीवन में सहारा देता है।

चरण 6: 07 अक्टूबर समापन का दिन ✅
आज 07 अक्टूबर को, तप का हुआ समापन।
पारणा की शुभ बेला आई, सफल हुआ अर्पण।
मन में शुद्ध भाव भरा, तन में शुद्ध समर्पण।
मुक्ति के पथ पर चलने का, हो जाए पुन: प्रण।
हिन्दी अर्थ: आज 07 अक्टूबर को तपस्या का समापन हुआ है। व्रत खोलने की शुभ घड़ी आई है, और हमारी तपस्या सफल हुई है। मन में पवित्र भावना और शरीर में शुद्ध समर्पण भरा है। हम मोक्ष के मार्ग पर चलने का संकल्प दोहराते हैं।

चरण 7: शाश्वत सुख की कामना ∞
तपस्वियों का अभिनंदन, संघ का है जयकार।
ओळी ने दी शक्ति, अब जीवन हो निर्भार।
सदा रहे ये धर्म-भावना, शाश्वत हो ये विचार।
मोक्ष-मार्ग पर बढ़ते रहें, मिले सच्चा सुखकार।
हिन्दी अर्थ: सभी तपस्वियों का स्वागत और जैन संघ की जय हो। इस तपस्या ने हमें शक्ति दी है, अब हमारा जीवन भारहीन हो। यह धार्मिक भावना हमेशा बनी रहे और यह विचार शाश्वत हो। हम मोक्ष के मार्ग पर आगे बढ़ते रहें और सच्चा सुख प्राप्त करें।

--अतुल परब
--दिनांक-07.10.2025-मंगळवार.
===========================================