आश्विन पूर्णिमा - शरत्काल की दिव्य भक्ति 🌕🪷🕉️-1-💖🙏✨🍂🌙💧

Started by Atul Kaviraje, October 11, 2025, 10:59:39 AM

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Atul Kaviraje

आश्विन पौर्णिमा-

📅 07 अक्टूबर, 2025: आश्विन पूर्णिमा - शरत्काल की दिव्य भक्ति 🌕🪷🕉�-

ईमोजी सारansh: 💖🙏✨🍂🌙💧

आज, 07 अक्टूबर, 2025, मंगलवार के दिन, हम आश्विन मास की पूर्णिमा का पावन पर्व मना रहे हैं, जिसे शरद पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह तिथि भक्ति, सौंदर्य, और आध्यात्मिक ऊर्जा से ओत-प्रोत है।

विस्तृत एवं विवेचनपरक हिंदी लेख
1. आश्विन पूर्णिमा का परिचय और महत्व 🌟
1.1. तिथि का नाम: इसे शरद पूर्णिमा कहते हैं, क्योंकि यह शरद ऋतु में पड़ती है।

1.2. धार्मिक महत्व: इसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है, जहाँ माता लक्ष्मी रात्रि में विचरण करती हैं और 'को जागृति' (कौन जाग रहा है) पूछती हैं।

1.3. भक्ति का स्वरूप: यह रात प्रेम और भक्ति का प्रतीक है, विशेषकर भगवान श्री कृष्ण की महा-रास लीला के कारण।

2. भक्ति भाव और आध्यात्मिक ऊर्जा 💫
2.1. पूर्ण चंद्रमा की शीतलता: इस रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है, जिसकी किरणें अमृत के समान मानी जाती हैं, जो मन और आत्मा को शांति प्रदान करती हैं।

2.2. आरोग्य लाभ: मान्यता है कि चंद्रमा की रोशनी में रखी खीर खाने से आरोग्य और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

उदाहरण: खीर को रात भर चाँदनी में रखने की परंपरा। 🥣🌙

2.3. मन की शुद्धता: यह दिन उपवास, ध्यान और सत्संग के माध्यम से चित्त की शुद्धता पर बल देता है।

3. कोजागरी पूर्णिमा: देवी लक्ष्मी का पूजन 💰
3.1. पूजन विधि: रात्रि में देवी महालक्ष्मी और इंद्र देव का पूजन किया जाता है।

3.2. धन और समृद्धि: माना जाता है कि जो इस रात जागकर भक्ति करता है, उसे लक्ष्मी जी की कृपा से धन, वैभव और ऐश्वर्य प्राप्त होता है।

प्रतीक: कमल पर विराजमान देवी लक्ष्मी। 🪷🪙

4. रास पूर्णिमा: कृष्ण भक्ति का चरम 💖
4.1. महारास लीला: वृंदावन में भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महा-रास रचाया था, जो निस्वार्थ और शुद्ध प्रेम (भक्ति) का सर्वोच्च उदाहरण है।

4.2. आत्मिक मिलन: यह रास केवल नृत्य नहीं, बल्कि जीवात्मा का परमात्मा से आत्मिक मिलन (अद्वैत) का दर्शन है।

उदाहरण: हर गोपी को एक कृष्ण का अनुभव होना। 🕺💃

5. पूर्णिमा और जल तत्व का संबंध 💧
5.1. चंद्र और जल: चंद्रमा का सीधा संबंध जल तत्व से है (समुद्री ज्वार)। हमारे शरीर का 70% हिस्सा जल है, इसलिए पूर्णिमा का प्रभाव मन पर गहरा होता है।

5.2. स्नान और शुद्धि: इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है, जो तन और मन की अशुद्धियों को दूर करता है।

प्रतीक: गंगा जल कलश। 🏺

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-07.10.2025-मंगळवार.
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