गोवा का देवी भगवती उत्सव: भक्ति, परंपरा और 'पुनव' की रात-1-🛕🔱🙏🔔

Started by Atul Kaviraje, October 11, 2025, 11:16:09 AM

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Atul Kaviraje

देवी भगवती उत्सव-गोवा-

गोवा का देवी भगवती उत्सव: भक्ति, परंपरा और 'पुनव' की रात (07 अक्टूबर, 2025 - मंगलवार)-

07 अक्टूबर 2025, मंगलवार, गोवा के धार्मिक और सांस्कृतिक कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण दिन है। यह तिथि आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा है, जिसे भारत के कई हिस्सों में शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन, गोवा के पर्णेम (Pernem) तालुका में स्थित प्राचीन श्री भगवती देवस्थान में 'पुनव उत्सव' या 'पेडणेची पुनव' (Pernem's Punav) का भव्य आयोजन होता है, जो देवी भगवती के प्रति अटूट भक्ति और अनूठी स्थानीय परंपराओं का प्रतीक है।

देवी भगवती उत्सव (पुनव) - एक विस्तृत विवेचना 🛕🔱
गोवा में, विशेष रूप से उत्तरी गोवा के पर्णेम में, श्री भगवती मंदिर में मनाया जाने वाला यह उत्सव अपनी विशिष्ट परंपराओं और लोक-मान्यताओं के कारण विशेष महत्व रखता है। यह उत्सव वास्तव में दशहरा पर्व के नौ दिवसीय नवरात्रि (आश्विन शुद्ध प्रतिपदा से शुरू) के समापन और शरद पूर्णिमा के साथ जुड़ा हुआ है।

1. उत्सव की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और महत्व
प्राचीनता: श्री भगवती मंदिर 500 वर्ष से भी अधिक पुराना माना जाता है। पुर्तगाली शासन के दौरान जब कई मंदिरों को नष्ट कर दिया गया था, तब यह मंदिर अपनी जगह पर खड़ा रहा, जो गोवा की हिंदू परंपराओं के लचीलेपन को दर्शाता है।

मुख्य देवी: मंदिर की अधिष्ठात्री देवी श्री देवी भगवती हैं, जो देवी पार्वती का अवतार और शक्ति का प्रतीक हैं। वे अष्टभुजा (आठ हाथ) रूप में स्थापित हैं।

पुर्तगाली प्रभाव से मुक्ति: मंदिर का बचा रहना गोवा के लोगों के लिए आस्था और सांस्कृतिक पहचान की जीत का प्रतीक है।

2. 07 अक्टूबर 2025 की तिथि का विशेष संयोग 🗓�🌕
पंचांग के अनुसार: 7 अक्टूबर 2025 को आश्विन शुक्ल पूर्णिमा (सुबह 9:18 बजे तक) है, जिसे शरद पूर्णिमा और कुमार पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन महर्षि वाल्मीकि जयंती भी है।

पुनव उत्सव: पर्णेम में, नवरात्रि और दशहरा के बाद आने वाली यह पूर्णिमा की रात (पुनव) विशेष अनुष्ठानों और मेलों का केंद्र होती है।

भक्तिमय माहौल: यह तिथि चंद्र प्रकाश में देवी लक्ष्मी की पूजा और आध्यात्मिक जागरण का समय मानी जाती है, जिससे पूरा क्षेत्र भक्ति के रंग में सराबोर हो जाता है।

3. प्रमुख अनुष्ठान और परंपराएँ - 'पुनव' की रात 🙏🔔
पारंपरिक तरंगे: यह उत्सव 'तरंगमहोत्सव' के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। तरंगे (Tarangas) रंगीन कपड़े और फूलों से सजाए गए लंबे खंभे होते हैं जो देवी-देवताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं और सुख-समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं।

देवी भगवती की तरंगे: 6 अक्टूबर की देर रात (सोमवार) को, पार्से (Parse) स्थित श्री भगवती देवी की तरंगे आगरवाडा (Agarwada) के श्री सातेरी देवस्थान में 'पाहुणचार' (अतिथि सत्कार) के लिए जाती हैं, और 7 अक्टूबर की सुबह तक पहुँचती हैं।

स्वागत और सत्कार: 7 अक्टूबर (मंगलवार) को दिन भर श्री सातेरी मंदिर में तरंगों का सत्कार होता है, जिसके बाद वे पार्से स्थित भगवती मंदिर के लिए वापस निकलती हैं।

4. भूतनाथाला परत आणणे: एक अनूठी कथा 👻💬
भूतनाथ का आगमन: इस उत्सव की सबसे अनूठी परंपरा भगवान भूतनाथ (देव भूतनाथा) से जुड़ी है। भूतनाथा को अपना मंदिर न होने का 'गुस्सा' माना जाता है, और वह वन से उत्सव में आते हैं।

शांत करने की प्रथा: भक्तगण भूतनाथ के तरंगों के पीछे चलते हैं और उन्हें शांत करने के लिए एक विशेष कोंकणी/मराठी वाक्यांश कहते हैं: "बान तू सायबा" (Ban toi-ba saiba) जिसका अर्थ है, "प्रभु, हम आपके लिए मंदिर का निर्माण करेंगे।" यह लोक-मान्यता इस उत्सव को एक विशेष पहचान देती है।

कौल और समाप्ति: यह पुनव उत्सव 8 अक्टूबर (बुधवार) की सुबह, पार्से के भगवती मंदिर के प्रांगण में 'कौल' (देवी से मार्गदर्शन या अनुमति) लेने के बाद समाप्त होता है।

5. मंदिर की वास्तुकला और दीपस्तंभ 🕯�🏛�
स्थापत्य शैली: मंदिर की वास्तुकला ऐतिहासिक प्रभावों का एक अनूठा मिश्रण है, जो गोवा की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है।

दीपस्तंभ (Deepastambhas): मंदिर परिसर में दो भव्य दीपस्तंभ हैं। उत्सवों के दौरान, इन मीनारों को हजारों दीयों की रोशनी से सजाया जाता है, जो एक शानदार और दिव्य दृश्य प्रस्तुत करता है। यह दीयों की जगमगाहट मंदिर के आध्यात्मिक वातावरण को और भी बढ़ा देती है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-07.10.2025-मंगळवार.
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