'कला साहित्य' में देवी सरस्वती का योगदान-🕊️📖🖋️✨

Started by Atul Kaviraje, October 12, 2025, 04:37:58 PM

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Atul Kaviraje

'कला साहित्य' में देवी सरस्वती का योगदान-

देवी सरस्वती को समर्पित हिंदी कविता-

संक्षेप में इमोजी सारांश (Emoji Saaransh):
🕊�📖🖋�✨

चरण 1
कविता:
श्वेत वस्त्र धारिणी, वीणा है हाथ,
सरस्वती माँ देती, ज्ञान का साथ।
कला साहित्य में, तेरा ही योगदान,
तू ही वाग्देवी, तू ही माँ महान।
हिंदी अर्थ: आप श्वेत (सफेद) वस्त्र धारण करने वाली हैं, हाथ में वीणा है। सरस्वती माँ ज्ञान का साथ देती हैं। कला और साहित्य में आपका ही योगदान है। आप ही वाग्देवी हैं, आप ही महान माँ हैं।

चरण 2
कविता:
शब्दों में रस हो, भाषा में हो प्रवाह,
वीणा की झंकार, देती काव्य को राह।
अक्षर अक्षर में माँ, तेरा ही वास,
तेरे बिना कहाँ से, मिले सत्य का भास।
हिंदी अर्थ: शब्दों में रस हो, भाषा में प्रवाह हो। वीणा की गूँज ही कविता को रास्ता देती है। अक्षर-अक्षर में माँ, आपका ही निवास है। आपके बिना सत्य का ज्ञान कहाँ से मिले।

चरण 3
कविता:
हंस है सवारी, देती ज्ञान विवेक,
सत्य और असत्य, करती हो एक।
छंद और लय को, तू ही तो सिखाए,
कवि की कल्पना, तेरे दर से आए।
हिंदी अर्थ: हंस आपकी सवारी है, जो ज्ञान और विवेक देती है। आप सत्य और असत्य को एक (अलग-अलग) करती हैं। आप ही छंद और लय सिखाती हैं। कवि की कल्पना आपके द्वार से आती है।

चरण 4
कविता:
अहंकार को माँ, तू क्षण में हरे,
पुस्तक और ज्ञान, से जीवन भरे।
माला तेरी सिखाए, एकाग्रता की रीत,
सच्ची साधना से, होवे जग जीत।
हिंदी अर्थ: हे माँ, आप अहंकार को पल भर में दूर करती हैं। पुस्तक और ज्ञान से जीवन भरती हैं। आपकी माला एकाग्रता का तरीका सिखाती है। सच्ची साधना से दुनिया को जीता जा सकता है।

चरण 5
कविता:
जो पढ़ता लिखता, न भटकता कभी,
तेरी ही कृपा से, ज्ञान मिलता सभी।
अज्ञान का अंधियारा, दूर तू करती,
बुद्धि में निवास, ज्ञान तू भरती।
हिंदी अर्थ: जो पढ़ता-लिखता है, वह कभी नहीं भटकता। आपकी ही कृपा से सभी को ज्ञान मिलता है। आप अज्ञान का अँधेरा दूर करती हैं। बुद्धि में आप ही ज्ञान भरती हैं।

चरण 6
कविता:
संगीत कला में, तेरा ही विधान,
हर स्वर में माँ, तेरा है स्थान।
नृत्य हो या चित्र, या लेखन की कला,
तू ही तो है माँ, हर रूप में भला।
हिंदी अर्थ: संगीत कला में आपका ही नियम (योगदान) है। हर स्वर में माँ, आपका ही स्थान है। चाहे नृत्य हो, चित्रकला हो या लेखन की कला, आप ही तो हैं माँ, हर रूप में कल्याणकारी।

चरण 7
कविता:
करूँ वंदन माँ! तू ही आधार है,
तेरी शक्ति से ही, ये संसार है।
भक्ति का ये दीप, सदा जलता रहे,
सरस्वती माँ के चरणों में, जीवन पलता रहे।
हिंदी अर्थ: हे माँ, मैं आपको वंदन करता हूँ! आप ही आधार हैं। आपकी शक्ति से ही यह संसार चल रहा है। भक्ति का यह दीप हमेशा जलता रहे, और हमारा जीवन सरस्वती माँ के चरणों में पलता रहे।

--अतुल परब
--दिनांक-10.10.2025-शुक्रवार.
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