संत सेना महाराज-"विटेवरी उभा। जैसा लावण्याचा गाभा-✨ लवणाच गभा - पांडुरंग ✨🙏💎✨⚪

Started by Atul Kaviraje, November 18, 2025, 08:43:50 PM

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Atul Kaviraje

संत सेना महाराज-

     "विटेवरी उभा। जैसा लावण्याचा गाभा॥

     पायी ठेवूनिया माथा। अवधी वारली चिंता॥

     समाधान चित्ता। डोळा श्रीमुख पाहतात।

     बहुजन्मी केला त्याग। सेना देखे पांडुरंग ॥"

✨ लवणाच गभा - पांडुरंग ✨

(संत सेना महाराज के अभंग पर आधारित एक लंबी मराठी कविता)

मूल अभंग:
ईंट पर खड़ा हूँ।

लवणाच गभा के अभंग के समान ||

ईंट पर मेरा सिर।

अतीत की चिंताएँ दूर हो गई हैं।

मन संतुष्ट है।

आँखें चेहरा देखती हैं।

अनेक जन्मों का बलिदान।

सेना पांडुरंग को देखती है ||

1. भगवान का वह रूप

ईंट पर खड़े मेरे पांडुरंग भगवान हैं,
वह तेज की मूर्ति लवणाच के अभंग के समान है।

अर्थ: (ईंट पर) खड़े मेरे पांडुरंग भगवान हैं। उनकी मूर्ति अत्यंत उज्ज्वल है, जो समस्त सौंदर्य के सार (मूल) के समान है।

2. चरणों का महत्व

मैंने उन चरणों पर अपना सिर रख दिया,
तुरंत ही मेरे मन की चिंताएँ और दुःख दूर हो गए।

अर्थ: जब मैंने अपना मस्तक उस पांडुरंग के श्रीचरणों पर रखा, तो मेरे मन और संसार की सारी चिंताएँ और दुःख तुरंत ही दूर हो गए।

3. दर्शन की संतुष्टि

मैं अपनी आँखों से जिस सुंदर मुख का दर्शन करता हूँ,
मेरा मन तृप्त हो गया है, प्रकाश विषय से दूर हो गया है।

अर्थ: मैं अपनी आँखों से भगवान के उस सुंदर मुख का दर्शन कर रहा हूँ (तृप्त होकर)। उस रूप को देखकर मेरा मन पूर्णतः तृप्त हो गया है, अब मेरे मन में किसी वस्तु का अभाव नहीं है।

4. दर्शन का फल

यह दर्शन पुण्य की वह साधारण गाँठ नहीं है,
मैंने पूर्वजन्म में त्याग का महान मार्ग अपनाया था।

अर्थ: भगवान का यह दर्शन सहज ही प्राप्त नहीं होता, यह मेरे अनेक जन्मों के पुण्य की गाँठ है। मैंने अनेक जन्मों में त्याग और साधना करके भक्ति के इस मार्ग पर चलना सीखा है।

5. भक्ति का अनुभव

मन स्थिर हो गया है, अब शांति आ गई है,
ईश्वर ही एकमात्र नहीं हैं, किसी अन्य जोड़ी की आवश्यकता नहीं है।

अर्थ: भगवान के स्वरूप के दर्शन से मेरा मन शांत हो गया है और मुझे शांति की मधुरता प्राप्त हुई है। अब मुझे भगवान के अतिरिक्त किसी और चीज़ का संग (या आसक्ति) नहीं चाहिए।

6. सेना महाराज का आभार

सेना महाराज ने अब ऐसे पांडुरंग के दर्शन किए हैं,
उन्हें जन्म-जन्मांतर की भक्ति का मधुर अनुभव प्राप्त हुआ है।

अर्थ: संत सेना महाराज को अब ऐसे सुंदर पांडुरंग के दर्शन हुए हैं। इससे उन्हें जन्म-जन्मांतर की भक्ति और ध्यान का मधुर अनुभव प्राप्त हुआ है।

7. अंतिम संतुष्टि

आँखें प्रसन्न, मन शांत और शरीर विश्राम में है,
मुख से भगवान का नाम लेना ही सच्चा लक्ष्य है।

अर्थ: भगवान का स्वरूप आँखों को सुख देता है, मन शांत होता है और इस दर्शन से शरीर को भी (संसार के श्रम से) विश्राम मिलता है। मुख से भगवान का नाम लेना ही जीवन की सच्ची सफलता और लक्ष्य है।

इमोजी सारांश:

🙏💎✨⚪😌💖👑🌟

--अतुल परब
--दिनांक-17.11.2025-सोमवार.     
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