👑 चाणक्य नीति: इस लोक का स्वर्ग 👑अध्याय 2, श्लोक 3-👨‍👩‍👦‍👦🏡😇🧘‍♂️👑💰💖⚖

Started by Atul Kaviraje, November 18, 2025, 10:08:55 PM

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Atul Kaviraje

चाणक्य नीति द्वितीय अध्याय -

यस्य पुत्रो वशीभूतो भार्या छन्दानुगामिनी ।
विभवे यश्च सन्तुष्टस्तस्य वर्ग इहैव हि ।।३।।

👑 चाणक्य नीति: इस लोक का स्वर्ग 👑

(अध्याय 2, श्लोक 3 पर आधारित)

श्लोक:

यस्य पुत्रो वशिभूतो भार्या चंदनुगामिनी।

विभावे यश्च सत्यस्थस्य वर्ग इहैव हि।

⭐ कविता का सारांश (संक्षिप्त अर्थ):

जिस व्यक्ति का पुत्र आज्ञाकारी हो, जिसकी पत्नी अनुकूल आचरण करे और जो अपने धन से संतुष्ट हो, उसे इसी पृथ्वी पर स्वर्गीय सुख प्राप्त होता है। परिवार में शांति और मानसिक संतुष्टि ही जीवन का सच्चा सुख है।

📜  कविता 📜

1. आज्ञाकारी पुत्र

जो भाग्यशाली पुरुष का पुत्र आज्ञाकारी हो,
जो ज्ञान और अनुशासन के साथ बुद्धिमानी से व्यवहार करता हो;
जो अपने पिता की बात मानता हो,
वह जीवन की पहली चिंता है।

2. पत्नी का सुख

और जिसकी पत्नी, अपने मन के अनुसार,
संवाद और प्रेम से घर में शांति लाएगी;
सुख-दुःख में, वह आपके साथ रहेगी,
ऐसी संगति से, स्वर्ग से संसार को देखेगी।

3. संतोष की खोज

संभावना का अर्थ है धन, वह धन जो आपके हाथ में है,
जिसमें आपको दिन-रात संतोष मिलता है;
लोभ, लालच नहीं, जो मिलता है वही स्वीकार है,
वह मनुष्य संसार का सच्चा महान है।

4. स्वर्ग की अवधारणा

स्वर्ग कुछ नहीं, एक दूरस्थ निवास है,
यह केवल सुख का नाम है;
यदि आपको यह मिल जाए, पारिवारिक धन,
तो आपको यही जानना चाहिए, स्वर्ग से सौंदर्य।

5. तीन गांठों का अर्थ

पुत्र, पत्नी, संतोष, ये तीन गांठें बंधती हैं,
तभी व्यक्ति की सच्ची उन्नति खिलती है;
इसी संसार में उसे अद्वितीय सुख मिलता है,
मन से सभी चिंताओं का बंधन टूट जाता है।

6. नीतिशास्त्र की शिक्षा

चाणक्य नीतिशास्त्र कहते हैं, इस जीवन-रूप को जानो,
यदि संतोष नहीं है, तो तुम्हारा धन और मान व्यर्थ है;
घर में शांति, यही सच्चा वैभव है,
शांत मन में ही समता छिपी है।

7. परम सत्य

यह संसार उसका स्वर्ग है, यही परम सत्य है,
जिसका जीवन सुखद, निरंतर और कर्मों से परिपूर्ण है;
वह सच्चा सुखी है, उसे कोई चिंता नहीं है,
उसके घर में निरंतर आनंद का वास होता है।

🌷 पद का मराठी अर्थ (Pratyek Padacha Marathi Arth) 🌷

पद (कड़वे) | मराठी अर्थ (अर्थ)
1. आज्ञाकारी पुत्र - जिसका पुत्र अनुशासित और आज्ञाकारी है, वह व्यक्ति जीवन की बड़ी-बड़ी चिंताओं को दूर कर देता है।
2. पत्नी का सुख - जिसकी पत्नी समझदारी और प्रेम से घर में शांति बनाए रखती है, उसके कारण संसार स्वर्ग के समान हो जाता है।
3. संतोष की इच्छा - जो भी धन-संपत्ति से संतुष्ट रहता है, वही श्रेष्ठ माना जाता है।
4. स्वर्ग की अवधारणा - स्वर्ग कोई अलग स्थान नहीं है, बल्कि घर में सुख, आराम और पारिवारिक शांति ही स्वर्ग है।
5. तीन गांठों का अर्थ - यदि ये तीनों चीजें मिल जाएँ, तो जीवन में अपार सुख मिलता है।
6. नैतिक शिक्षाएँ - संतोष के बिना धन और मान-सम्मान व्यर्थ हैं; घर में शांति ही सच्चा वैभव है।
7. परम सत्य - सुखी, संतुष्ट और शांतिपूर्ण जीवन जीने वालों के लिए यह संसार स्वर्ग है।

🖼� भावनात्मक सारांश (इमोजी सारांश) 🖼�

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--अतुल परब
--दिनांक-18.11.2025-मंगळवार.
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