🌍 मिट्टी का उपदेश 🏺संत कबीर के दोहा 18-🌱🏺👤⏳💀🌍🧘‍♂️🙏

Started by Atul Kaviraje, November 18, 2025, 10:14:12 PM

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Atul Kaviraje

कबीर दास जी के दोहे-

माटी कहे कुम्हार से, तु क्या रौंदे मोय।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूंगी तोय॥१८॥

🌍 मिट्टी का उपदेश 🏺

(संत कबीर के दोहा 18 पर आधारित एक लंबी मराठी कविता)

मूल दोहा:

कुम्हार कुम्हार से कहता है, "तू मुझे आकार दे रहा है,"

एक दिन ऐसा होगा, मैं इसे रौंद दूँगा।

1. कुम्हार का अहंकार

कुम्हार कुम्हार से कहता है, "मैं तुझे आकार दे रहा हूँ,"

वह इसे अपने पैरों तले रौंदकर यह 'सत्कार' (प्रक्रिया) करता है।

(यह मानवीय अहंकार का प्रतीक है।)

2. मिट्टी का प्रश्न

'मिट्टी' उससे कहती है, "तू मुझे क्यों रौंद रहा है?"

मैं तुझे बता दूँ कि तेरा अभिमान व्यर्थ है।

अर्थ: (इस पर) मिट्टी कुम्हार से प्रश्न पूछती है,

'तू मुझे इतनी बेरहमी से अपने पैरों तले क्यों रौंद रहा है?'

तुम्हारा अहंकार व्यर्थ है, क्योंकि मैं तुम्हें सत्य से अवगत कराऊँगा।

3. अनित्यता का सत्य

आज तुम एक बलवान शरीर हो,
अंत में यह शरीर धूल में मिल जाएगा।

अर्थ: आज जब तक तुम जीवित हो, तुम स्वयं को बलवान और श्रेष्ठ समझते हो (शरीर जानता है कि मैं शक्तिशाली हूँ),
लेकिन अंततः तुम्हारा यह शरीर शांतिपूर्वक धूल में मिल जाएगा।

4. समय का चक्र

एक दिन ऐसा आएगा जब मैं 'धूल' बन जाऊँगा,
मैं तुम्हारे बुझे हुए शरीर पर शांति से बैठूँगा।

अर्थ: एक दिन ऐसा अवश्य आएगा जब तुम्हारा अस्तित्व नष्ट हो जाएगा
और मैं (धूल) स्थिर रहूँगा। मैं तुम्हारे मृत शरीर पर शांति से (धूल में मिलकर) बैठूँगा।

5. अंतिम निर्णय

'मैं रौंदूँगा' यही मेरा निर्णय होगा,
शेष हड्डियों पर धूल क्या है?

अर्थ: तब मैं (धूल) तुम्हें कुचल दूँगा, क्योंकि यही मेरा निर्णय होगा।

तुम्हारे शरीर की शेष हड्डियों और अस्तित्व पर मिट्टी का अधिकार होगा (मिट्टी ही उन्हें विलीन कर देगी)।

6. अहंकार का नाश

हे मनुष्य, शक्ति या धन का अभिमान मत करो,
तुम्हारा अंतिम गंतव्य मिट्टी ही है।

अर्थ: हे मनुष्य, शक्ति या धन का अभिमान मत करो।
क्योंकि तुम्हारा अंतिम गंतव्य मिट्टी में ही मिल जाना है। (शरीर का अंतिम निवास मिट्टी में ही है।)

7. भक्ति के नियम

यह जानते हुए कि शरीर नश्वर है, प्रभु के नाम का जाप करने का नियम अपनाओ।
कबीर कहते हैं कि भक्ति शरीर से प्रेम नहीं करना चाहिए।

अर्थ: यह जानते हुए कि तुम्हारा शरीर नश्वर है, प्रभु के नाम का जाप करने का नियम अपनाओ।
संत कबीर कहते हैं कि (इस) क्षणभंगुर शरीर में अत्यधिक प्रेम या आसक्ति मत रखो।

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--अतुल परब
--दिनांक-16.11.2025-रविवार.   
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