🙏🕉️🚩👑💖 'ऐच्य कृपेचि पालखी' – अधिष्ठादेवी यात्रा की महानता-🙏🕉️🚩👑🏔️🔔✨🎊

Started by Atul Kaviraje, November 20, 2025, 10:31:27 PM

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Atul Kaviraje

अधिष्ठादेवी यात्रा -मानोली,तालुका-शाहुवाडी-

यह कोल्हापुर जिले के शाहूवाड़ी तालुका के मनोली में 'अधिष्ठादेवी' की तीर्थ यात्रा पर आधारित एक बहुत ही भक्ति विषय है। गुरुवार, 20 नवंबर, 2025 को होने वाली तीर्थ यात्रा की भव्यता को बताने वाली एक लंबी मराठी कविता

🙏🕉�🚩👑 देवी अधिष्ठा

अधिष्ठादेवी यात्रा – मनोली (शाहूवाड़ी)

(भक्ति से भरपूर, सुंदर, अर्थपूर्ण, सरल, सादा, सीधा, सहज, रसीला, तुकबंदी के साथ)

💖 'ऐच्य कृपेचि पालखी' – अधिष्ठादेवी यात्रा की महानता-

श्लोक 1

मराठी कविता:
गुरुवर योग कार्तिक की रात है,
मानोली शहर में, त्योहार की चर्चा है।
अधिष्ठादेवी का त्योहार, तीर्थ यात्रा महान है,
माँ के दर्शन, आनंद की बाढ़।

मतलब:
मनोली गाँव (शाहूवाड़ी तालुका) में एक त्योहार की खबर है।
अधिष्ठादेवी का बड़ा त्योहार (यात्रा) बहुत बड़ा है।
माँ के दर्शन करके भक्त खुशी से भर जाते हैं।
गुरुवार का शुभ दिन कार्तिक (अमावस्या) (20 नवंबर) के पास की रात है।

श्लोक 2

मराठी कविता:
पहाड़ की गोद में, मंदिर है,
देवी के आशीर्वाद से, तुम संतुष्ट हो जाओगे।
कोल्हापुर जिले की, वह सम्मान बनाए रखती है,
माँ की कृपा से, तुम ठीक हो जाओगे।

मतलब:
देवी का यह मंदिर सह्याद्री पहाड़ों की गोद में है।
देवी की कृपा से, सभी को मन की शांति और संतुष्टि मिलती है।
देवी कोल्हापुर जिले (इलाके) का सम्मान बनाए रखती है।
माँ के आशीर्वाद से, सभी ठीक हैं।

श्लोक 3

मराठी कविता:
सुबह हो गई, आ गई,
भक्तों की भीड़, हर जगह आती है।
माँ के नाम की, माला जपते रहते हैं,
विश्वास की भावना, हर दिन जलती है।

मतलब:
सुबह हो गई है और यात्रा की तैयारियाँ शुरू हो गई हैं।
भक्तों के बड़े-बड़े ग्रुप अलग-अलग जगहों से आ रहे हैं।
हर जगह देवी का नाम जपा जा रहा है।
भक्तों के दिलों में हमेशा विश्वास की लौ जलती रहती है।

श्लोक 4

मराठी कविता:
फूलों से सजी हुई, तारीफ़ की पालकी,
तारों से बजते हुए साज़ों की आवाज़।
मन्नतों के धागे छोड़कर,
वो आती है,
देवी के चरणों में, अपना सिर रखकर।

मतलब:
देवी की पालकी इतनी तारीफ़ के लायक है कि उसे सुंदर फूलों से सजाया गया है।
(स्तुति में) साज़ों की तेज़ आवाज़ के बीच, लयबद्ध संगीत बज रहा है।
भक्त अपनी मन्नत पूरी होने पर इस जगह पर आते हैं।
देवी के चरणों में सिर रखकर (झुकते हैं)।

श्लोक 5

मराठी कविता:
अज्ञान दूर करना चाहिए, ज्ञान का दीपक जलाना चाहिए,
खुशी का प्रसाद सब में रखना चाहिए।
अधिष्ठा माता, तुम ही माँ हो,
तुम्हारी कृपा के बिना कोई सहारा नहीं है।

मतलब:
माँ, हमारे मन से अज्ञान दूर करो और हमें ज्ञान का प्रकाश दो।
खुशी का आशीर्वाद (प्रसाद) सब में बराबर बंटे।
हे अधिष्ठा माता, तुम ही हमारी सच्ची माँ हो।
तुम्हारी कृपा के अलावा हमारा कोई और सहारा नहीं है।

श्लोक 6

मराठी कविता:
सभी भक्तों ने भीड़ में मंदिर की परिक्रमा की।
सच्ची आस्था और भक्ति से दर्शन के मोती (फल) मिले।
भक्तों के दिलों में शांति और भक्ति का राज हो।
पुण्य कमाकर सभी भक्त अपने घर लौट जाते हैं।

श्लोक 7

मराठी कविता:
जय जय अधिष्ठा देवी, कृपा का स्रोत,
मानोली यात्रा की, यात्रा की शाश्वत राख।
अगले साल भी, चलो जश्न मनाते हैं,
माँ के चरणों में, चलो सिर झुकाते हैं।

मतलब:
हे अधिष्ठादेवी, आपकी जय हो, आप कृपा का भंडार हैं।
मानोली में इस तीर्थयात्रा का सम्मान हमेशा बना रहे।
अगले साल भी ऐसा ही भव्य उत्सव मनाया जाए।
माँ के चरणों में हमारा प्रणाम।

इमोजी सारांश:
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--अतुल परब
--दिनांक-20.11.2025-गुरुवार.
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