🧠 दोस्ती में सावधानी: चाणक्य नीति 💡 चाणक्य नीति-चैप्टर 2, श्लोक 6-🧠🤝🔒🔥🤐💡

Started by Atul Kaviraje, November 21, 2025, 08:38:16 PM

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Atul Kaviraje

चाणक्य नीति द्वितीय अध्याय -

न विवसेत्कुमित्रे च मित्रे चापि न विश्वसेत् ।
कदाचित्कुपितं मित्रं सर्वगृह्य प्रकाशयेत् ।।६।।

आचार्य चाणक्य की नीति पर आधारित सात कड़वी बातों की एक सुंदर मराठी कविता, जो प्रैक्टिकल ज्ञान देती है, रसीली और तुकबंदी वाली है।

यह कविता भक्ति से ज़्यादा प्रैक्टिकल ज़िंदगी में सावधानी पर ज़ोर देती है, इसलिए कविता का लहजा उसी समझ का रहेगा।

🧠 दोस्ती में सावधानी: चाणक्य नीति 💡

(चाणक्य नीति पर आधारित कविता - चैप्टर 2, श्लोक 6)

श्लोक: न विवसेत्कुमित्रे च मित्र चापि न विश्वसेत्। क्वैद्यत्कुपितं मित्रं सर्वगृह्य प्रकाशायत ।।6।

1. पहला कड़वा (मतलब: दुष्टों का त्याग)

दुष्टों का साथ कभी मत करना,
बुरे रास्ते पर कभी पैर मत रखना;
दुष्टों के नाम पर कभी मत रहना,
तुम्हारा सार बिगड़ जाएगा, यही नीति की बात है।

[मतलब: बुरे दोस्त (कुमित्र) का साथ कभी मत रखना, क्योंकि उनका साथ आपके विचारों को खराब कर देता है। उनका साथ पूरी तरह से टालना चाहिए।]

2. दूसरा कड़वा (मतलब: दोस्त पर भरोसा)

अगर दोस्त अच्छा भी हो, तो भी उस पर कभी पूरा भरोसा मत करना,
यही नैतिकता का खास नियम है;
तो भरोसा करना चाहिए, हदें जाननी चाहिए,
सतर्क रहना चाहिए, और मन की रक्षा करनी चाहिए।

[मतलब: अगर आपका दोस्त अच्छा भी हो, तो भी उस पर आँख बंद करके भरोसा मत करना। दोस्ती में भरोसे की ज़रूरत होती है, लेकिन उसमें समझदारी और हदें बनाए रखना ज़रूरी है।]

3. तीसरा कड़वा (मतलब: गोपनीय बातों का ध्यान रखना)

अपने राज़, कमज़ोरियाँ,
कभी भी उस दोस्त को मत बताना;
अपने राज़ अपने तक ही रखना,
हमेशा सावधानी से ज़िंदगी जीना।

[मतलब: अपने सबसे गोपनीय राज़ और कमज़ोरियाँ अपने दोस्त को मत बताना। अपनी प्राइवेट लाइफ को अपने लिए सेफ रखें।]

4. चौथा कड़वा (मतलब: गुस्से का खतरा)

क्योंकि समय आता है, जब दुश्मनी होती है,
गुस्सा उनके मन में होता है, जब वह ट्रांसमिट होता है;
जब उनकी बुद्धि का वह नाश होता है,
तो सावधान रहना, यही सच्ची सेवा है।

[मतलब: क्योंकि अगर भविष्य में कभी दोस्ती टूट जाए और उनके मन में गुस्सा आ जाए, तो उनकी बुद्धि खराब हो जाती है।]

5. पांचवां कड़वा (मतलब: राज खुलना)

गुस्से में आकर, वह दोस्त कभी-कभी,
सब कुछ बता देगा, कभी आपकी;
जो घर की बात है, वह खुल जाएगी,
बदनामी होगी, फिर शर्मिंदगी होगी।

[मतलब: गुस्से में आया दोस्त आपके सारे सीक्रेट राज खोल सकता है, जिससे समाज में आपकी बदनामी होगी।]

6. छठा कड़वा (मतलब: प्रैक्टिकल समझदारी)

दोस्ती का रिश्ता प्यार भरा होना चाहिए,
लेकिन प्रैक्टिकल जानकारी हमेशा रखनी चाहिए; लोग बदलते हैं, उनका स्वभाव अस्थिर होता है,
यह चाणक्य का गंभीर संदेश है।

[मतलब: दोस्ती का रिश्ता भले ही प्यार का हो, लेकिन इंसान अस्थिर स्वभाव का होता है। इसलिए हर रिश्ते में प्रैक्टिकल समझदारी से काम लेना चाहिए, यह चाणक्य की गंभीर सलाह है।]

7. सातवीं कड़वी (मतलब: आखिरी निष्कर्ष)

दोस्त का साथ, दोस्तों पर पूरा भरोसा,
ज़िंदगी में इन दोनों से बचना चाहिए;
सतर्क रहना, अपना विवेक कभी न खोना,
यही चाणक्य की नीति का असली सार है।

[मतलब: बुरे दोस्त का साथ और अच्छे दोस्त पर पूरा भरोसा, इन दोनों से बचना चाहिए। हमेशा सतर्क रहना और अपना विवेक न खोना, यही चाणक्य की नीति का असली सार है।]

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--अतुल परब
--दिनांक-21.11.2025-शुक्रवार.
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