🙏 संत एकनाथ का भक्तमाल: समतेखा अभंग 🙏🙏 🌹 🕉️ 📿 ✨ 💖 🔔 🙏

Started by Atul Kaviraje, November 22, 2025, 07:21:55 PM

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Atul Kaviraje

               संत एकनाथ-

     "सांवता, नामा, दामाजाण।

     नारा, म्हादा, गोंदा, विठा, कबीर कमाल पूर्ण।

     सेना जगमित्र नरसीब्राह्मण।

     दिवटे निष्ठती बया दार लाव॥"

🙏 संत एकनाथ का भक्तमाल: समतेखा अभंग 🙏

पूरा अभंग (4 लाइनें)

"सवंता, नामा, दामाजन।
नर, म्हाडा, गोंडा, विथा, कबीर कमल पूर्ण।
सेना जगमित्र नरसी ब्राह्मण।
भक्ति से दरवाज़ा खोलो और दीया जलाओ।

अभंग का छोटा मतलब — 4 लाइनें

सवंता, नामा, दामा, नर, म्हाडा,
गोंडा, विथा, कबीर, कमल, सेना,
जगमित्र और नरसी—इन संतों का दुनियादारी जीवन
अब चला गया है, इसलिए मन का दरवाज़ा बंद कर लो।

📜 कविता 📜
(कुल 07 छंद — हर छंद 4 अलग लाइनों में)

1. भक्तमाल की शुरुआत 🌺

सवंता माली, नामा शिम्पी जन,
दामाजी की भक्ति, भाव शुद्ध पूर्णा.
नारा म्हाडा गोंडा, विथा नामधारी,
बिना भेदभाव के झंडा, एकनाथ धारी.

मतलब (4 लाइनें)

संवत माली, नामदेव शिंपी, दामाजी,
नारा, म्हाडा, गोंडा, विथा—
इन सबका ज़िक्र करते हुए एकनाथ कहते हैं
कि बिना भेदभाव के सभी की भक्ति सबसे ऊपर है.

2. जाति के भेदभाव पर हमला ✊

कबीर जुलाहा, कमाल उसका सूत,
क्या उसने जाति-पाति को नहीं माना, भक्ति की एक अद्भुत कहानी.

सेना नाई, जगमित्र नागेशी,
नरसी ब्राह्मण, भक्ति की राशि में सब बराबर हैं.

मतलब (4 लाइनें)

कबीर और कमाल
ने जाति के भेदभाव को नकार दिया था.
सेना नाई, जगमित्र और नरसी ब्राह्मण
भक्ति के रास्ते में बराबर सम्मान पाते हैं.

3. भक्ति की बराबरी ⚖️

पेशे अलग-अलग हैं, जातियां अलग-अलग हैं,
लेकिन विट्ठल का प्रेम ही सबका धन है।
माली, दर्जी, नाई, ब्राह्मण सब एक हो गए,
इस भक्ति मार्ग से प्रभु मिले।

मतलब (4 लाइनें)

भले ही पेशा और जाति अलग-अलग थी,
विट्ठल के लिए प्रेम सबका एक जैसा था।

माली, दर्जी, नाई, ब्राह्मण—
सबने भक्ति से प्रभु को पाया।

4. ज्ञान का दिव्य प्रकाश ✨

दीपक सच्चे हो गए, चमक शांत हो गई,
ज्ञान और भक्ति से, अंतरात्मा प्रकाशित हो गई।

संतों की संगति से, नाम जपा,
भ्रम का सारा अंधेरा दूर हो गया।

मतलब (4 लाइनें)

संतों की संगति से मिला ज्ञान का प्रकाश शांत हो जाता है,
यानी भक्ति का अनुभव पूरा हो जाता है
और भ्रम का अंधेरा दूर हो जाता है।

5. बया, दरवाज़ा बंद कर लो 🚪

अब, एकनाथ ने कहा, बया, ध्यान दो,
भ्रम की हवाएं, अब नहीं आतीं मन का दरवाज़ा, तुम उसे कसकर बंद कर लो, इच्छाओं की भीड़ को बाहर रोक दो। मतलब (4 लाइनें) एकनाथ कहते हैं—हे बेटे, विषय-वासनाओं की हवाओं को अंदर मत आने दो। मन का दरवाज़ा बंद कर दो और बुराइयों को बाहर रोक दो। 6. अंतर्मुखता का संदेश 🧘 बाहरी दुनिया की चिंता मत करो, अब और नहीं, विट्ठल अंदर हैं, शांत रहो। मेरे अपने शब्द, इसे दूर रखो, आत्मा में आनंदित रहो, भगवान की सेवा करो। मतलब (4 लाइनें) बाहरी दुनिया की चिंताओं को भूल जाओ, क्योंकि विट्ठल अंदर हैं। अहंकार और स्वार्थ को दूर रखो और अंदर की ओर मुड़कर भक्ति करो। 7. निष्कर्ष: भक्ति का खजाना 💖 यह संतों का खजाना है, सभी के लिए खुला है, काम, जाति, स्वार्थ, सब कुछ गौण हो गया है। नाम में आनंदित रहो, समानता का पालन करो, जीवन को सार्थक बनाओ, के मार्ग पर चलो भक्ति।

अर्थ (4 लाइनें)

संतों की शिक्षा सभी के लिए खुली है।
काम, जाति, स्वार्थ की यहाँ कोई जगह नहीं है।
नाम जपने और समता का पालन करने से जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है।

🙏 🌹 🕉� 📿 ✨ 💖 🔔 🙏

--अतुल परब
--दिनांक-22.11.2025-शनिवार.
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