☀️ सूर्य देव का गायत्री मंत्र और उसकी महिमा ☀️-1-☀️ 🕉️ 🧘 💡 🧠 💪 💖 🚩

Started by Atul Kaviraje, November 23, 2025, 04:52:27 PM

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Atul Kaviraje

सूर्य देव का गायत्री मंत्र और उसकी महिमा
सूर्य देव का 'गायत्री मंत्र' और उनकी महिमा-
(The Gayatri Mantra of Surya Dev and Its Glory)
Surya DevaS'Gayatri Mantra' and its glory-

☀️ सूर्य देव का गायत्री मंत्र और उसकी महिमा ☀️

(भक्तिभावपूर्ण, विवेचनपरक, विस्तृत एवं दीर्घ हिंदी लेख)

१. आरम्भ: सूर्य और मंत्र की दिव्यता (Introduction: Divinity of Sun and Mantra)
सूर्य देव भारतीय संस्कृति और वैदिक परंपरा के केंद्र में हैं। उन्हें प्रत्यक्ष देवता माना जाता है, जो जीवन, ऊर्जा और प्रकाश प्रदान करते हैं। उन्हीं सूर्य देव का एक विशिष्ट 'गायत्री मंत्र' है, जो ऋग्वेद में वर्णित मूल 'महा गायत्री मंत्र' से प्रेरित है। इस मंत्र का जप न केवल शारीरिक स्वास्थ्य देता है, बल्कि मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त करता है। यह लेख सूर्य देव के गायत्री मंत्र की महिमा और उसके गहरे अर्थ का विस्तृत विवेचन प्रस्तुत करता है।

२. सूर्य देव का विशिष्ट गायत्री मंत्र (The Specific Gayatri Mantra of Surya Deva)
सूर्य देव का विशिष्ट गायत्री मंत्र इस प्रकार है:

ॐ भूर्भुवः स्वः। ॐ भास्कराय विद्महे महातेजाय धीमहि। तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्॥

मूल मंत्र:

भास्कराय विद्महे (हमें भास्कर (प्रकाशदाता) को जानना चाहिए।)

महातेजाय धीमहि (हम उस महातेजस्वी का ध्यान करते हैं।)

तन्नो सूर्यः प्रचोदयात् (वह सूर्य हमारी बुद्धियों को प्रेरित करे।)

३. मंत्र का पदवार अर्थ (Word-by-Word Meaning of the Mantra)
यह मंत्र तीन मुख्य भागों में बंटा है:

ॐ भूर्भुवः स्वः: ये तीन व्याहृतियाँ हैं, जो तीनों लोकों (पृथ्वी, अंतरिक्ष और स्वर्ग) और तीनों कालों (भूत, वर्तमान, भविष्य) की प्रतीक हैं। यह आह्वान करता है कि सूर्य की शक्ति सम्पूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त है।

भास्कराय विद्महे: 'भास्कर' का अर्थ है 'प्रकाश को उत्पन्न करने वाला' (भास: प्रकाश, करः: करने वाला)। हम उस प्रकाशमान देव को जानते हैं।

महातेजाय धीमहि: 'महातेज' का अर्थ है महान तेज और शक्ति। हम उस महान तेजस्वी स्वरूप का ध्यान (धारणा) करते हैं।

तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्: 'तन्नो' का अर्थ है 'वह हमें', और 'प्रचोदयात्' का अर्थ है 'प्रेरित करे' या 'सत्कर्मों में लगाए'। वह सूर्य देव हमारी बुद्धि और विवेक को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करें।

४. मंत्र जप का समय और विधि (Time and Method of Chanting)
उत्तम समय: सूर्योदय (Sunrise) के समय इस मंत्र का जप करना सबसे शुभ माना जाता है। इससे शरीर और मन दोनों सूर्य की ऊर्जा को सीधे अवशोषित करते हैं।

विधि: प्रातः काल स्नान के बाद लाल वस्त्र पहनकर, तांबे के पात्र में जल लेकर उसमें रोली/चंदन और लाल पुष्प डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय या उसके बाद रुद्राक्ष या चंदन की माला से कम से कम १०८ बार इस मंत्र का जप करें।

दिशा: हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख करके जप करें।

५. शारीरिक और स्वास्थ्य संबंधी लाभ (Physical and Health Benefits)
सूर्य गायत्री मंत्र का जप शरीर को अद्भुत ऊर्जा प्रदान करता है:

आँखों की रोशनी: सूर्य को नेत्रों का देवता माना जाता है। नियमित जप से आँखों की रोशनी और स्वास्थ्य बेहतर होता है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity): सूर्य की ऊर्जा शरीर में विटामिन-डी (Vitamin-D) के निर्माण में सहायक होती है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।

रक्त परिसंचरण: मंत्र जप से उत्पन्न कंपन रक्त परिसंचरण को सुधारते हैं, जिससे हृदय रोग और रक्तचाप (Blood Pressure) में लाभ मिलता है।

ऊर्जा और ओज: यह मंत्र साधक को तेज और ओज प्रदान करता है, जिससे चेहरे पर एक विशेष चमक आती है।

इमोजी सारांश
☀️ 🕉� 🧘 💡 🧠 💪 💖 🚩

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-23.11.2025-रविवार.
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