चाणक्य नीति द्वितीय अध्याय - 🕊️ कविता: "हंसों की चमक" 🕊️📜 💡 👩‍👦 ⚔️ 👨‍👦

Started by Atul Kaviraje, November 26, 2025, 07:32:31 PM

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Atul Kaviraje

चाणक्य नीति द्वितीय अध्याय -

माता शत्रुः पिता वैरी येन बालो न पाठितः।
न शोभते सभामध्ये हंसमध्ये वको यथा ।।११।।

🕊� लंबी मराठी कविता: "हंसों की चमक" 🕊�

टाइटल: हंसों की चमक

मतलब: बिना पढ़ा-लिखा बच्चा भीड़ में अच्छा नहीं लगता, जैसे हंसों के बीच बगुला।

कड़वी
1

चाणक्य की नैतिकता, दुनिया को सबक देती है।
चाणक्य की शिक्षाएं दुनिया को ज्ञान देती हैं।
बिना शिक्षा के जीवन, दुनिया में सिर्फ गुस्सा।
बिना शिक्षा के जीवन दुनिया में सिर्फ (दुख और) गुस्सा पैदा करता है।

ज्ञान हासिल करना पहला कर्तव्य है।
ज्ञान हासिल करना इंसान का पहला कर्तव्य है।
यही रास्ता है, जीवन की महानता।
इसके बिना, जीवन को महानता या महत्व नहीं मिलता।

2

जानें कि माँ दुश्मन है, पिता दुश्मन है।
जानें कि माँ दुश्मन है और पिता दुश्मन है।
जिन्होंने बच्चे को ज्ञान नहीं दिया, वे बोझ हैं।
जिन्होंने अपने बच्चे को थोड़ी सी भी शिक्षा नहीं दी।

भले ही वे शरीर को खाना खिला दें, लेकिन बुद्धि को पानी नहीं देते।
उन्होंने सिर्फ शरीर को खाना खिलाया, लेकिन बुद्धि (शिक्षा) को पानी नहीं दिया।
यही वह बात है जो बच्चों के भविष्य की दुश्मन बन जाती है।
यही वह बात है जो बच्चों के भविष्य की दुश्मन बन जाती है।

3

अगर शिक्षा नहीं है, तो बहुत अंधेरा है।
अगर शिक्षा नहीं है, तो बहुत अंधेरा है।
जीवन के रास्ते पर, लगातार मार पड़ती रहती है।
जीवन के रास्ते पर, लगातार असफलता और परेशानी होती रहती है।

केवल ज्ञान ही दुनिया के बड़े दरवाजे खोलता है।
केवल ज्ञान ही जीवन के बड़े दरवाजे खोलता है।
वह ज्ञान दिए बिना, माता-पिता क्रूर हो जाते हैं।
जो माता-पिता वह ज्ञान नहीं देते, वे क्रूर हो जाते हैं।

4

विद्वानों की सभा में बच्चा अच्छा नहीं लगता।
वह बच्चा बुद्धिमानों की सभा में अच्छा नहीं लगता।
जहां ज्ञान की बातें लगातार चलती रहती हैं।
जहाँ ज्ञान की बातें लगातार और हमेशा चलती रहती हैं।

बोलने की सुविधा नहीं होती, चुप रहना पड़ता है।
बोलने का मौका नहीं मिलता, चुप रहना पड़ता है।
बुद्धि की परीक्षा में वह पिता हार जाता है।
बुद्धि की परीक्षा में बेचारा हार जाता है।

5

जैसे हंसों के झुंड में बगुला दिखता है।
जैसे हंसों के झुंड में बगुला दिखता है।
हंस ज्ञान का प्रतीक है, जिसके हाथ में बुद्धि है।
हंस ज्ञान का प्रतीक हैं, जिसके हाथ में बुद्धि है।

बगुला नासमझ होता है, लालच का प्रतीक है।
यह तो पता है कि बगुला नासमझ होता है, लालच का प्रतीक है।
इसी तरह, अनजान इंसान की सभा में इज्ज़त नहीं होती।
इसी तरह, अनजान इंसान की सभा में इज्ज़त नहीं होती।

6

ज्ञान ही इंसान का सच्चा, दिव्य धन है।
शिक्षा ही इंसान का सच्चा और दिव्य धन है।
ज्ञान सबसे बड़ा है, जो कभी मिट्टी नहीं होता।
ज्ञान सबसे बड़ा है, जो कभी खत्म नहीं होता।

शिक्षा देने से बच्चा सभ्य बनता है।
शिक्षा से बच्चे को अच्छे संस्कार और संस्कृति मिलती है।
उसका जीवन समाज में पूजनीय बनता है।
उसका जीवन समाज में सम्मान के लायक बनता है।

7

जागो माता-पिता, तुम्हारा कर्तव्य बहुत बड़ा है।
माता-पिता, जागो, तुम्हारा कर्तव्य बहुत बड़ा है।
अपने बच्चों के भविष्य के लिए, उन्हें ज्ञान दो।
अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए, उन्हें शिक्षा दो।

एक समझदार बच्चा, हर जगह सुंदर दिखेगा।
एक समझदार बच्चा, हर जगह सुंदर और खूबसूरत दिखेगा।
उसे हंसों की महिमा मिलेगी, यही चाणक्य का मंत्र है।
उसे हंसों की महिमा मिले, यही चाणक्य का संदेश है।

🖼� EMOJI सारांश:

श्लोक कंटेंट आइकन
चाणक्य नीति 📜 💡
माता-पिता दुश्मन हैं 👩�👦 ⚔️ 👨�👦
शिक्षा, ज्ञान 🍎 🧠
हंस (ज्ञान), बगुला (अज्ञान) 🦢 🐦

ओवरऑल EMOJI सारांश (हॉरिजॉन्टल अरेंजमेंट):
📜 💡 👩�👦 ⚔️ 👨�👦 🍎 🧠 🦢 🐦 🙏

--अतुल परब
--दिनांक-26.11.2025-बुधवार.         
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