कबीर दास जी के दोहे-🌌कविता: "आत्म-जागृति का आह्वान" 🌌🚶‍♂️ 🎯 🛌 😴 💡 🧘 🙏

Started by Atul Kaviraje, November 26, 2025, 07:36:07 PM

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Atul Kaviraje

कबीर दास जी के दोहे-

आया था किस काम को, तु सोया चादर तान।
सुरत सम्भाल ए गाफिल, अपना आप पहचान॥ २८॥

🌌 लंबी मराठी कविता: "आत्म-जागृति का आह्वान" 🌌

टाइटल: आत्म-जागृति का आह्वान

मतलब: इंसानी ज़िंदगी का मकसद जानकर, भ्रम की नींद छोड़कर आत्म-ज्ञान पाना चाहिए।

कड़वी
1
कबीर दास की बातें खास तौर पर दिल को छू लेने वाली हैं।
संत कबीर की बातें दिल को छू जाती हैं।
वे इंसानी ज़िंदगी को एक नया फोकस देती हैं।
वे इंसानी ज़िंदगी को एक नई दिशा देती हैं।

तुम इस दुनिया में किस वजह से आए हो?
तुम इस दुनिया में किस ज़रूरी मकसद से आए हो?
सोचो, टाइम बर्बाद मत करो।
सोचो, अब टाइम बर्बाद मत करो।

2
तुम क्यों आए, तुम्हारा मकसद क्या है?
तुम क्यों आए, तुम्हारा मेन मकसद क्या है?
तुम भ्रम की चादर ओढ़कर क्यों सोए?
तुम भ्रम (अज्ञान) की चादर ओढ़कर क्यों सोए?

आलस की नींद, यह अच्छी नहीं है।
आलस की नींद लेना अच्छी नहीं है।
मौका बहुत कम मिलता है, यह खो जाता है।
इंसान जन्म का यह दुर्लभ मौका खो जाएगा।

3
'बेपरवाह' इंसान, अब तुरंत जाग जाओ।
ओ बेपरवाह इंसान, अब तुरंत जाग जाओ।
इस कीमती जन्म को नज़रअंदाज़ मत करो।
इस कीमती इंसानी जीवन को नज़रअंदाज़ मत करो।

क्यों ख्वाहिशों की गांठ से बंधे घूमते हो?
क्यों ख्वाहिशों का बोझ उठाए घूमते हो?
इस नश्वर शरीर में, तुम आत्मा को क्यों भूल जाते हो?
इस नाशवान शरीर में तुम आत्मा को क्यों भूल गए?

4

'सुरत' (मन) आज़ाद है, भगवान को देखो।
तुम भगवान पर ध्यान लगाने के लिए आज़ाद हो।
तुम भगवान पर ध्यान लगाने के लिए आज़ाद हो।
अब तुम लक्ष्य का वह रास्ता खोज सकते हो।
ताकि तुम अपने लक्ष्य का रास्ता अभी खोज सको।

भक्ति के इस साधन को एक पल में मत छोड़ो।
भक्ति के इस माध्यम को एक पल में मत छोड़ो।
शरीर को झटक दो, और अपना मन परमात्मा में लगाओ।
शरीर का मोह छोड़ो और अपना मन परमात्मा में लगाओ।

5

असल में तुम कौन हो, तुम सिर्फ़ शरीर नहीं हो।
असल में तुम कौन हो, तुम सिर्फ़ यह शरीर नहीं हो।
'अपना आप पहनना', तुम अपने अंदर देखो।
'खुद को जानो', तुम अपने अंदर देखो।

तुम भगवान का हिस्सा हो, अनजान मत रहो।
तुम भगवान का हिस्सा हो, अनजान मत रहो।
यही सच्चा ज्ञान है, संत और ज्ञानी कहते हैं।
यही सच्चा ज्ञान है, जो संत और ज्ञानी कहते हैं।

6

सफ़र का मकसद भूलना नहीं है।
ज़िंदगी के सफ़र का मकसद भूलना नहीं है।
इसे जागरूकता के साथ हासिल करना चाहिए, ज़िंदगी का फल पक्का है।
जीवन का फल जागरूक होकर पाना है।

कर्म का बंधन, भ्रम का जाल।
कर्म का बंधन और यह भ्रम का जाल।
इसे तोड़ो और आज़ाद हो जाओ, यही इस दोहे का संदेश है।
इसे तोड़ो और आज़ाद हो जाओ, यही इस दोहे का खास संदेश है।

7
अब जागने का समय आ गया है।
सच में जागने का समय आ गया है।
मुक्ति का वह रास्ता तुम्हारे अंदर है।
मुक्ति का वह रास्ता तुम्हारे अंदर छिपा है।

'चादर' फेंक दो और अपने कर्म पूरे करो।
भ्रम की चादर फेंक दो और अपना फ़र्ज़ पूरा करो।
कबीर का संदेश, इसे अपने जीवन में अपनाओ।
संत कबीर के इस संदेश को अपने जीवन में अपनाओ।

🖼� EMOJI सारांश (Emoji सारांश):

दोहे का मतलब
इंसान का जन्म, मकसद 🚶�♂️ 🎯
अज्ञान की नींद 🛌 😴
जागृति, ज्ञान 💡 🧘
कबीर का संदेश 🙏 📖

कुल मिलाकर EMOJI सारांश (हॉरिजॉन्टल अरेंजमेंट):
🚶�♂️ 🎯 🛌 😴 💡 🧘 🙏 📖 ✨🌌

--अतुल परब
--दिनांक-26.11.2025-बुधवार.   
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