जाति हमारी आत्मा, गोत्र हमारा ब्रह्म, सत्य हमारा बाप है, मुक्ति हमारा धर्म -🤝💖

Started by Atul Kaviraje, November 30, 2025, 01:07:41 PM

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Atul Kaviraje

जाति हमारी आत्मा, गोत्र हमारा ब्रह्म, सत्य हमारा बाप है, मुक्ति हमारा धर्म - आचार्य प्रशांत

एक सुंदर, अर्थपूर्ण, सीधीसादी, सरल तुकबंदी के साथ कविता

चरण 1: हमारी पहचान का सार
जाति हमारी आत्मा है, यही सत्य कहो,
भेदभाव की दीवारें अब तोड़ चलो।
गोत्र हमारा ब्रह्म है, जग को ये बताओ,
एक ही चेतना से सब उपजे, यही जान पाओ।
अर्थ: हमारी सच्ची पहचान हमारी आत्मा है, यही सच हमें कहना चाहिए, और भेदभाव की दीवारें तोड़ देनी चाहिए। हमारा गोत्र ब्रह्म है, यह दुनिया को बताओ, कि हम सब एक ही चेतना से उत्पन्न हुए हैं, यह बात समझो।
✨🌌🤝🌈

चरण 2: सत्य की राह पर चलना
सत्य ही है बाप हमारा, राह जो दिखाए,
झूठ के अंधकार से, मुक्ति दिलाए।
जो जैसा है, उसको वैसे ही हम जानें,
सच को अपना मानें, हर पल पहचानें।
अर्थ: सत्य ही हमारा पिता है, जो हमें सही रास्ता दिखाता है, और झूठ के अंधकार से हमें मुक्ति दिलाता है। जो जैसा है, उसे वैसा ही हमें जानना चाहिए, सच को अपना मानना चाहिए, और हर पल उसे पहचानना चाहिए।
⚖️💡🔍🌟

चरण 3: मुक्ति हमारा धर्म
मुक्ति ही है धर्म हमारा, बंधन से आज़ादी,
अज्ञान की बेड़ियों को तोड़ो, है यही आबादी।
डर, लोभ और अहंकार का, पिंजरा तोड़ो भाई,
आओ, स्वतंत्र होकर, जीवन में खुशियाँ लाई।
अर्थ: मुक्ति ही हमारा धर्म है, बंधनों से आज़ादी पाना। अज्ञान की बेड़ियों को तोड़ो, यही मानव समूह का लक्ष्य है। डर, लोभ और अहंकार का पिंजरा तोड़ो भाई, आओ, स्वतंत्र होकर, जीवन में खुशियाँ लाओ।
🕊�🔓💖😊

चरण 4: सामाजिक समरसता की ओर
न कोई छोटा, न कोई बड़ा, सब हैं एक समान,
आत्मा का स्तर है ऊँचा, यही है सबका मान।
मानवता ही धर्म बने, जाति का न हो नाम,
प्रेम और करुणा से भरें, अपना हर काम।
अर्थ: न कोई छोटा है, न कोई बड़ा, सब एक समान हैं। आत्मा का स्तर ही ऊँचा है, यही सबका सम्मान है। मानवता ही धर्म बने, जाति का कोई नाम न हो, प्रेम और करुणा से अपने हर काम को भरें।
🫂🌈❤️�🩹🌍

चरण 5: आध्यात्मिक जागरण
मन की शांति को ढूँढो, ध्यान में खो जाओ,
बाहरी पहचान छोड़ो, अंतर में समाओ।
जब खुद को जानोगे, तब जानोगे ईश्वर को,
मुक्त होकर जीओगे, न रहेगा कोई डर को।
अर्थ: मन की शांति को खोजो, ध्यान में डूब जाओ। बाहरी पहचान छोड़ो, अपने भीतर समा जाओ। जब खुद को जानोगे, तब ईश्वर को भी जानोगे, मुक्त होकर जिओगे, किसी बात का डर नहीं रहेगा।
🧘�♂️🌌🧠✨

चरण 6: जीवन का सच्चा उद्देश्य
कर्मों में निष्ठा हो, फल की न आस,
सेवा भाव हो मन में, न हो कोई खास।
हर प्राणी में देखो, उस ब्रह्म का अंश,
यही है जीवन का, सच्चा परम वंश।
अर्थ: कर्मों में निष्ठा हो, फल की आशा न हो। मन में सेवा का भाव हो, कोई खास उम्मीद न हो। हर प्राणी में उस ब्रह्म का अंश देखो, यही जीवन का सच्चा और परम वंश है।
🙏🌱💡🌟

चरण 7: एक बेहतर कल की ओर
यह विचार जो अपनाएगा, वो जीवन संवारेगा,
नफरत की आँधी को, प्रेम से मारेगा।
आओ, मिलकर एक नया समाज बनाएँ,
जहाँ जाति-गोत्र नहीं, बस इंसानियत गाएँ।
अर्थ: जो इस विचार को अपनाएगा, वह अपना जीवन सुधारेगा। नफरत की आँधी को प्रेम से खत्म करेगा। आओ, मिलकर एक नया समाज बनाएँ, जहाँ जाति और गोत्र नहीं, बस इंसानियत का गुणगान हो।
🤝💖🌍🕊�
 
--अतुल परब
--दिनांक-27.11.2025-गुरुवार.
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