🙏 कृष्ण माई फेस्टिवल: सांगली की भक्ति की धारा-🌊🙏🌞💖✨🛶🎶🏞️🌿🌾💧🌍🎶🌺🙌💫

Started by Atul Kaviraje, December 01, 2025, 04:38:55 PM

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Atul Kaviraje

कृष्णा नदी उत्सव-सांगली-

🙏 कृष्ण माई फेस्टिवल: सांगली की भक्ति की धारा (30 नवंबर, 2025, रविवार) 🙏 (कृष्ण माई फेस्टिवल: सांगली की भक्ति की धारा - 30 नवंबर, 2025, रविवार)

कविता का सारांश: यह कविता सांगली में कृष्णा नदी के किनारे मनाए जाने वाले भक्ति उत्सव के बारे में बताती है। इस दिन का उत्साह, नदी की पवित्रता और इससे मिलने वाली खुशहाली की तारीफ़ इन सात दोहों में की गई है। हर दोहे में चार लाइनें हैं, जो नदी की महानता, प्रकृति की सुंदरता और लोगों की आस्था को दिखाती हैं।

1. पहला दोहा

आज की तारीख, 30 नवंबर, खास है,
सांगली की धरती पर, एक नया दिन आया है।
रविवार है, त्योहार की तैयारी का दिन,
कृष्ण माई की पूजा और भक्ति का यह दिन।

मतलब: आज (30 नवंबर, 2025) बहुत खास है, क्योंकि सांगली की धरती पर एक नए त्योहार का दिन आया है। आज रविवार है, इसलिए सभी लोग बड़ी तैयारी के साथ कृष्णा नदी की भक्ति यात्रा में शामिल हुए हैं।

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2. दूसरा खट्टा-मीठा

आज कृष्णा नदी के किनारे सजे हैं,
उत्सव भव्य है, भक्ति में डूबा हुआ है।
दीपों और बातियों की रोशनी, धीमी-धीमी चमक रही है,
सांगली के भक्त, इस जीवन देने वाली नदी का आशीर्वाद मांग रहे हैं।

मतलब: आज कृष्णा नदी के किनारे बहुत खूबसूरती से सजे हैं। एक भव्य उत्सव चल रहा है, जिसमें लोग भक्ति में डूबे हुए हैं। सांगली के लोग नदी के किनारों पर दीये और बाती जलाकर इस जीवन देने वाली नदी का आशीर्वाद मांग रहे हैं।

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3. तीसरा कड़वा-मीठा

महाबलेश्वरी उगम, आपकी पवित्र यात्रा,
आपने महाराष्ट्र को, सुजलम-सुफलम मिठास दी।
सांगली के खेतों को, आपका कीमती पानी,
आप सच्चे भाग्य-दाता हैं, यह पूरी दुनिया जानती है।

मतलब: कृष्णा नदी महाबलेश्वर से निकलती है, और आपकी यात्रा बहुत पवित्र है। आपने महाराष्ट्र को सुजलम (पानी से भरपूर) और सुफलम (फसलों से भरपूर) बनाया है। आपका पानी सांगली के खेतों के लिए बहुत कीमती है। आप सच्चे भाग्य-दाता देवता हैं, यह पूरी दुनिया जानती है।

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4. चौथा कड़वा

आरती की धुनें बज रही हैं, दिल भावनाओं से भर गया है,
भक्ति का सैलाब आ गया है, जगह नहीं है।
नदी में फूल छोड़े जाते हैं, हाथों में जल लिया जाता है,
शांति और समृद्धि मिले, यही मन की प्रार्थना है।

मतलब: नदी के किनारे आरती की सुंदर धुनें बज रही हैं, और दिल भक्ति की भावनाओं से भर गया है। भक्ति की बाढ़ के कारण, मन में कोई शक या नेगेटिविटी नहीं रहती। नदी में फूल छोड़े जाते हैं और हाथों (आचमन) पर जल लिया जाता है। मन में शांति और समृद्धि बनी रहे, यही सच्ची प्रार्थना है।

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5. पांचवां कड़ावे

कृष्णा का पानी, शांत और गंभीर,
जीवन को प्रेरणा देता है, जीने का धैर्य देता है।
घाटों पर सबकी भीड़ है, यह खुशी की लहर है,
संस्कृति का यह खजाना, लोगों का आनंद।

मतलब: कृष्णा नदी का पानी शांत और गंभीर है। यह हमें जीवन में धैर्य रखने की प्रेरणा देता है। नदी के घाट आज लोगों से भरे हुए हैं, हर जगह खुशी की लहर फैल गई है। यह त्योहार हमारी संस्कृति की धरोहर है, जो लोगों को एक साथ लाता है।

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6. छठे कड़वे

सूरज डूब रहा है, शाम हो रही है,
आसमान रंगों से भर गया है, शांति बह रही है।
दीप जल रहे हैं, किनारे पर सब लोग,
दिव्य दृश्य देखकर, मेरा मन तृप्त हो रहा है।

अर्थ: सूरज डूब रहा है और शाम हो रही है। आसमान सुंदर रंगों से भर गया है और शांति है। नदी के किनारों पर हर जगह दीये जल रहे हैं। यह दिव्य और सुंदर दृश्य देखकर मेरा मन पूरी तरह से तृप्त (संतुष्ट) हो गया है।

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7. सातवें कड़वे

आइए आज कृष्ण माई की महिमा गाएं,
यह संस्कृति जीवित रहे, जब तक नदी भूमि है।
यह त्योहार अविस्मरणीय, आनंदमय है,
नदी का प्रवाह हमेशा बना रहे, खुशियां दे।

अर्थ: आज हम कृष्णा नदी की महिमा (महिमा) गाते हैं। जब तक यह नदी धरती पर बहती रहेगी, हमारी संस्कृति जीवित रहेगी। यह त्यौहार बहुत ही अविस्मरणीय और आनंदमय है। नदी का प्रवाह हमेशा ऐसे ही बहता रहे और सभी को खुशी महसूस हो।

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इमोजी समरी (SUMMARY EMOJI)

🌊🙏🌞💖✨🛶🎶🏞�🌿🌾💧🌍🎶🌺🙌💫🧘�♀️🏘�😊🧡🌅🕯�🙏✨💖🎉🇮🇳💧

--अतुल परब
--दिनांक-30.11.2025-रविवार.
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