⚓ विजयदुर्ग जात्रा: केरी-गोवा, सIतेरी का त्योहार-🚩🙏🌞💖🏝️🌴🌳🎶 👑✨🌍💃🎉🥁🍚

Started by Atul Kaviraje, December 01, 2025, 04:41:19 PM

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Atul Kaviraje

विजयदुर्ग जत्रा-केरी, गोवा-

⚓ विजयदुर्ग जात्रा: केरी-गोवा, सतेरी का त्योहार (30 नवंबर, 2025, रविवार)

कविता का सारांश: यह कविता गोवा राज्य के सिंधुदुर्ग जिले की सीमा पर, पेरनेम तालुका में स्थित केरी में विजयदुर्ग देवी (श्री सतेरी/शांतादुर्गा) मेले के बारे में बताती है। इस दिन का उत्साह, प्रकृति की सुंदरता, सांस्कृतिक मेल और लोगों की भक्ति की तारीफ़ रविवार, 30 नवंबर, 2025 को सात दोहों में की गई है। हर दोहे में चार लाइनें हैं, जो देवी की महानता, गोवा की संस्कृति और मेले की खुशी को दिखाती हैं।

1. पहला दोहा

आज की तारीख, 30 नवंबर, खास है, केरी-गोवा की धरती पर,
मेले की एक नई खुशबू है।
रविवार है, त्योहार की तैयारी का दिन,
श्री विजयदुर्ग देवी की भक्ति का यह दिन।

मतलब: आज (30 नवंबर, 2025) बहुत खास तारीख है, क्योंकि गोवा के केरी गांव (जहां श्री सटेरी/विजयदुर्ग देवी का मंदिर है) की धरती पर मेले का एक नया दिन शुरू हो गया है। आज रविवार होने की वजह से, सभी लोग श्री विजयदुर्ग (सटेरी) देवी के दर्शन के लिए बड़ी तैयारी के साथ भक्ति की यात्रा में शामिल हो गए हैं।

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2. दूसरी कड़वाहटें

गोमांतक का यह कोना, समुद्र का किनारा,
विजयदुर्ग देवी की माया की वह धारा।
नारियल और चिनार, हर तरफ केले की हरियाली,
मेले की इस खुशी से मन भारी हो जाता है।

मतलब: यह गोवा (गोमांतक) का तटीय इलाका है। यहां विजयदुर्ग देवी की माया की धारा (हालांकि किले से जुड़ी नहीं है, यह नाम स्थानीय मंदिर में प्रचलित है) बहती है। हर तरफ नारियल, पान और केले के पेड़ों की हरियाली है। मेले के इस उत्साह से मन खुश है।

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3. तीसरी कड़वी बात

देवी सतेरी माता, आप शक्ति का स्रोत हैं,
आपने गोवा की रक्षा की, पूरी दुनिया जानती है।
केरी के इस मंदिर में आपकी कृपा खास है,
पुर्तगालियों और मराठों का इतिहास यहीं है।

मतलब: हे सतेरी देवी, आप शक्ति का एक बड़ा स्रोत हैं। आपने गोवा की रक्षा की, पूरी दुनिया जानती है। केरी के इस मंदिर में आपकी कृपा खास है। पुर्तगाली और मराठा साम्राज्यों के इतिहास की यादें आज भी इस इलाके में हैं। (स्थानीय मंदिर में सतेरी देवी को विजयदुर्ग के नाम से भी जाना जाता है, उनके किले का विजयदुर्ग से सीधा संबंध नहीं है, लेकिन उनकी महानता बहुत बड़ी है।)

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4. चौथी कड़वी बात

स्प्रिट और गुब्बारे, ये खेलों का प्यार,
रंग और उत्साह, खुशी की मिठास।
प्रसाद और भंडारा, भक्तों में बांटा गया,
एक-दूसरे से मिलकर भक्ति बढ़ी।

मतलब: मेले में लोकल 'काट' (कोंकण/गोवा की लोक कला) और फुगड्या (पारंपरिक खेल) खेले जा रहे हैं, इसका एक अलग ही स्वाद है। रंगों और उत्साह से भरी यह खुशी मीठी लग रही है। भक्तों को देवी का प्रसाद और भंडारा बांटा जा रहा है। एक-दूसरे से मिलने से भक्ति की भावना बढ़ती है।

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5. पांचवां कड़वा

बाजार में भीड़ है, शॉपिंग की धूम है,
सुख-दुख की कहानियां, भक्ति की लगातार गूंज है।
शाम को यहां ड्रामा एक्सपेरिमेंट होंगे,
कला और संस्कृति की विरासत को जगाएंगे।

मतलब: मेले के बाजार में बहुत भीड़ है और शॉपिंग की धूम है। लोग एक-दूसरे के साथ खुशी-दुख की बातें कर रहे हैं और भक्ति का अनुभव कर रहे हैं। शाम को यहां ड्रामा एक्सपेरिमेंट होंगे। यह सब कला और संस्कृति की विरासत को जिंदा रखता है।

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6. छठी खट्टी-मीठी

सूरज डूब रहा है, समुद्र की शांति,
आसमान रंगों से भर गया है, मन उजला है।
दीप जले हैं, पूरे मंदिर में,
गोवा की इस संस्कृति से मेरा मन तृप्त है।

अर्थ: सूरज डूब रहा है और समुद्र पर शांति फैल गई है। आसमान सुंदर रंगों से भर गया है, जिससे मन शांत और उजला हो गया है। मंदिर पर हर जगह दीपक जले हैं। गोवा की इस सुंदर संस्कृति को देखकर मेरा मन पूरी तरह तृप्त (संतुष्ट) है।

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7. सातवीं खट्टी-मीठी

आइए आज विजयदुर्ग की महिमा गाते हैं,
यह संस्कृति जीवित रहेगी, जब तक प्रकृति पृथ्वी पर है।
त्योहार अविस्मरणीय, आनंदमय है,
आपका आशीर्वाद हमेशा बना रहे, दाता।

अर्थ: आज हम विजयदुर्ग देवी (सतेरी माता) की महिमा (महिमा) गाते हैं। जब तक धरती पर प्रकृति रहेगी, हमारी यह संस्कृति ज़िंदा रहेगी। यह त्योहार बहुत यादगार है और खुशी देता है। देवी का आशीर्वाद हमेशा ऐसे ही बना रहे और सभी के लिए खुशहाली लाए।

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काम की तस्वीरें/सिंबल

देवी/परी: 👑 / 🚩 (मुकुट, झंडा)
पूजा/भक्ति: 🙏 / 💖 (सलाम, प्यार)
समुद्र/गोवा: ⚓ / 🏝� (तट, आइलैंड)
प्रकृति/पेड़: 🌴 / 🌳 (नारियल-पफली)
त्योहार/कला: 💃 / 🥁 (डांस, ड्रम)
बाज़ार/लोग: 🛍� / 🏘� (शॉपिंग, गांव)
शाम/दीपक: 🌅 / 🕯� (डूबता सूरज, दीपक)

इमोजी सारांश

🚩🙏🌞💖🏝�🌴🌳🎶
👑✨🌍💃🎉🥁🍚🛍�🎭🏘�💫🌅🌊🕯�🙏👑🎉🇮🇳🧡

--अतुल परब
--दिनांक-30.11.2025-रविवार.
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