कृष्ण का ज्ञान और ध्यान का योग 🧘‍♂️📖👑🎯💡 ⚙️✋🍎❌ 🧘‍♂️🏞️👁️✨ ⚖️😊😔🤝 💖🙏🧠

Started by Atul Kaviraje, December 03, 2025, 07:40:52 PM

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Atul Kaviraje

कृष्ण का ज्ञान और ध्यान योग-
(Krishna's Yoga of Knowledge and Meditation)
Krishna's knowledge and meditation yoga-

टाइटल: कृष्ण का ज्ञान और ध्यान का योग 🧘�♂️

(कृष्ण का ज्ञान और ध्यान का योग)

कड़वे 1: गीता का ज्ञान योग

कृष्ण ने धर्म के मैदान में अर्जुन को ज्ञान दिया, ज्ञान ने मन का गुस्सा दूर किया।
आत्मा की सच्चाई और कर्म के अधिकार ने अज्ञान के अंधेरे पर वार किया।
(मराठी मतलब): भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया, जिससे उनके मन का शक और गुस्सा दूर हो गया।
आत्मा और कर्म का असली रूप बताकर उन्होंने अज्ञान को खत्म किया।

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कड़वे 2: कर्ता-कर्ता और अनासक्ति

कर्म करो, पर फल की उम्मीद मत करो, मैं कर्ता नहीं हूं, यह जानना ज़रूरी है।
कृष्ण ने जो अनासक्ति का योग सिखाया, उससे वह बिना आसक्ति के जीवन जीने लगा।
(मराठी मतलब): कृष्ण ने सिखाया कि कर्म तो करने चाहिए, लेकिन फल (अनासक्ति) की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
अगर आप 'मैं कर्ता हूँ' की भावना छोड़ दें, तो मन शांत रहता है।

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कड़वे 3: मेडिटेशन का महत्व

किसी एकांत जगह पर, मन को शांत करें, इंद्रियों पर काबू पाएं, और खुद में खुश रहें।
एक जगह स्थिर होकर बैठना और एकटक देखना, मेडिटेशन ही असली खुशी की नगरी है।
(मराठी मतलब): मेडिटेशन के लिए, एकांत जगह और शांत मन ज़रूरी है।
इंद्रियों पर काबू पाना और खुद में स्थिर होना, शांत बैठना और नाक की नोक पर नज़र रखना, यही मेडिटेशन का रास्ता है।

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कड़वे 4: समभाव और समता

सुख-दुःख, लाभ-हानि, मान-अपमान, दोनों में समान रहना, यही सच्चा ज्ञान है।
दुश्मन और मित्रों को एक आँख से देखना, समभाव का अभ्यास, योग की निशानी है।
(मराठी अर्थ): जीवन सुख-दुःख, लाभ-हानि, और मान-अपमान जैसे द्वंद्वों से भरा है।
इन दोनों स्थितियों में समान रहना, और शत्रु-मित्र दोनों को समान रूप से देखना, यही योगी का सच्चा ज्ञान और पहचान है।

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कड़वे 5: भक्ति और ज्ञान का संगम
ज्ञान का मार्ग कठिन है, भक्ति उसे आसान बनाती है, ज्ञान बुद्धि से जाना जाता है, प्रेम का पौधा लगाना चाहिए। भक्ति, मन की एकाग्रता, ज्ञान और भक्ति से भक्ति आसान हो जाती है, यही सच्ची समग्रता है।
(मराठी अर्थ): ज्ञान के मार्ग की तुलना में भक्ति के मार्ग से मन की एकाग्रता पाना आसान है।
बुद्धि से ज्ञान प्राप्त करना चाहिए और उसमें भक्ति का प्रेम जोड़ना चाहिए। ज्ञान और भक्ति का संगम ही पूर्ण योग है।

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कड़वे 6: अहंकार और बंधन से मुक्ति

अहंकार छोड़ो, भ्रम से मुक्त हो जाओ, देखो कि मैं शरीर का नहीं हूँ, मैं आत्मा हूँ।
बंधन से मुक्ति, यही अंतिम लक्ष्य है, कृष्ण का ज्ञान, यही सबसे बड़ा श्रेय है।
(मराठी अर्थ): 'मैं' का अहंकार छोड़ देना चाहिए और भ्रम से मुक्त हो जाना चाहिए।
यह जानना कि 'मैं शरीर नहीं, बल्कि आत्मा हूँ'। सभी बंधनों से मुक्ति पाना ही कृष्ण के ज्ञान का अंतिम लक्ष्य है।

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कड़वे 7: योगेश्वर को प्रणाम

जो योगी है, वही ज्ञानी है, वही सच्चा भक्त है, कृष्ण की कृपा से जीवन मुक्त हो जाएगा।
ज्ञान और ध्यान का यह दिव्य योग, योगेश्वर कृष्ण, हमारा रोज़ का आनंद है।
(मराठी अर्थ): जो योगी है, वही ज्ञानी है और वही सच्चा भक्त है।
जीवन मुक्ति सिर्फ़ श्री कृष्ण की कृपा से ही मिलती है। ज्ञान और ध्यान के इस अद्भुत योग के लिए हम रोज़ योगेश्वर कृष्ण को प्रणाम करते हैं।

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कविता इमोजी सारांश

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--अतुल परब
--दिनांक-03.12.2025-बुधवार.
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