॥ ज्ञानेश्वरी भावार्थदीपिका ॥ ॥ अथ प्रथमोऽध्यायः – अध्याय पहिला ॥॥ ६ ॥👑🙏📖🧠🎯

Started by Atul Kaviraje, December 03, 2025, 08:29:07 PM

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Atul Kaviraje

॥ ज्ञानेश्वरी भावार्थदीपिका ॥
॥ अथ प्रथमोऽध्यायः – अध्याय पहिला ॥

॥ अर्जुनविषादयोगः ॥

म्हणे अर्जुना आदि पाहीं । हें उचित काय इये ठायीं ।तूं कवण हें कायी । करीत आहासी ॥ ६ ॥

1. कृष्ण का आह्वान

कहते हैं अर्जुन, अपनी आँखें खोलो, तुम सबसे पहले क्या देखते हो, यह कौन सा पल है, आज तुम किस स्थिति में हो?
मोह के बंधन में, क्या तुम्हारा मन अधीर हो गया है, कर्तव्य की पुकार, तुम वीर क्यों भूल गए हो?
(मराठी अर्थ): श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं, पहले सोचो, तुम क्या देख रहे हो।
मोह में तुम्हारा मन अस्थिर क्यों हो गया है? एक महान नायक होकर भी, तुम अपने कर्तव्य का बोध क्यों भूल गए हो?

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2. सही-गलत विचार

यह धर्म युद्ध की जगह, क्या यहाँ हथियार फेंककर विलाप करना सही था?
क्या यह सच है कि तुम्हें बहादुरी से खड़े होकर लड़ना चाहिए, इस नाजुक समय में, भावनाओं की हवाएँ क्यों फैल रही हैं?
(मराठी अर्थ): यह एक धर्म युद्ध है, क्या इस जगह पर तुम्हारा विलाप करना सही है?
असल में, तुम्हें बहादुरी से खड़े होकर लड़ना चाहिए। ऐसी नाजुक स्थिति में तुम भावुक क्यों हो गए हो?

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3. जानें कि आप कौन हैं

क्या आप भूल गए हैं कि आप कौन हैं? क्या आपने एक महान क्षत्रिय की पहचान खो दी है?
आपका नाम 'धनंजय', वीरता की कहानी, यह गलत शोक, आपको शोक क्यों मनाना चाहिए?
(मराठी अर्थ): क्या आप अपनी पहचान भूल गए हैं? आप एक शक्तिशाली क्षत्रिय हैं।
आपका नाम 'धनंजय' है, जो वीरता का दावा करता है। आप इस गलत शोक का शोक क्यों मना रहे हैं?

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4. कर्तव्य में लापरवाही का दोष

आप जो कर रहे हैं वह आपके पद के अनुकूल नहीं है, आप वीरता को छोड़कर कायरों की तरह लालची क्यों हैं?
आप धर्म के लिए खड़े हैं, भगवान आपके साथ हैं, इस पल के प्रलोभन को दूर करें, इसे सही हाथों में लें। (मराठी मतलब): तुम जो कर रहे हो, वह तुम्हारे क्षत्रिय होने के लायक नहीं है।

तुम अपनी बहादुरी छोड़कर कायरों जैसा बर्ताव क्यों कर रहे हो? तुम धर्म के साथ खड़े हो और भगवान तुम्हारे साथ हैं, इसलिए लालच से बाहर आओ।

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5. खुद को भूलने का लालच

अर्जुन का कन्फ्यूजन खुद को भूलने की वजह से था, सच की रोशनी पास ही थी।
माया और भ्रम का जाल तोड़ना होगा, फर्ज के रास्ते पर चलना होगा, यही सच्चा जश्न है।
(मराठी मतलब): अर्जुन इसलिए कन्फ्यूज है क्योंकि वह अपनी असली पहचान भूल गया है, जबकि सच बहुत पास है।
माया और भ्रम के जाल से बाहर निकलना ज़रूरी है। फर्ज के रास्ते पर चलना होगा, यही सच्चा सुख है।

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6. विवेक का कदम

पहले विवेक और फिर कर्म का बंधन, ज्ञान का पहला कदम, ध्यान करो।
कृष्ण की बातें आज भी हमारा सहारा हैं, भ्रम पर जीत, यही जीवन का सार है।
(मराठी अर्थ): पहले विवेक होना चाहिए और फिर कर्म करना चाहिए। ज्ञान का पहला कदम ध्यान है।
श्री कृष्ण की यह बात आज भी हमारा सहारा है। भ्रम पर जीत, यही जीवन का सच्चा अर्थ है।

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7. प्रवचन का निष्कर्ष

इसलिए महाराज की बातों से यह सच्चाई निकलती है, अपना कर्तव्य छोड़े बिना शोक करना ठीक नहीं है।
पार्थ, अब उठो, धनुष की डोरी थामो, मोह छोड़कर युद्ध करो, यही तुम्हारी सच्ची महानता है।
(मराठी अर्थ): इसलिए संत ज्ञानेश्वर के वचनों से यह सत्य ध्यान में आता है कि अपना कर्तव्य छोड़े बिना शोक करना उचित नहीं है।
अर्जुन, अब उठो, धनुष उठाओ और मोह को छोड़े बिना युद्ध करो; इसी में तुम्हारी महानता है।
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--अतुल परब
--दिनांक-02.12.2025-मंगळवार.
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