'यहाँ' और 'यहाँ' ही मोक्ष है - आत्मा की सार्वभौमिकता-2-💡🕉️👑🧠❌🧘‍♂️💪💖✨📜

Started by Atul Kaviraje, December 11, 2025, 08:38:49 PM

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Atul Kaviraje

स्वामी विवेकानंद के विचार-
कोट 13
'यहाँ' और 'परलोक' बच्चों को डराने वाले शब्द हैं। यह सब 'यहाँ' है। भगवान में जीना और चलना - यहाँ भी, इस शरीर में भी! सारा खुद बाहर निकल जाना चाहिए; सारा अंधविश्वास खत्म हो जाना चाहिए।

🦁 स्वामी विवेकानंद के विचार: वर्तमान में दिव्यता 🦁

टाइटल: 'यहाँ' और 'यहाँ' ही मोक्ष है - आत्मा की सार्वभौमिकता

6. अभी के पल की ताकत
और भविष्य: मोक्ष और खुशी अभी में मिलती है, जिसका मतलब है कि हमें ज़िंदगी का हर पल पूरी पवित्रता और भक्ति के साथ जीना चाहिए।
अगला जन्म: अगर हम अभी के पल में भगवान के साथ रहते हैं, तो अगले जन्म की चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है।
उदाहरण: अगर कोई स्टूडेंट आज मेहनत से पढ़ाई करता है, तो उसे रिज़ल्ट की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।
$\rightarrow$ ⏳ 🎯 💯

7. प्रैक्टिकल वेदांत
ज़िंदगी में वेदांत: स्वामी विवेकानंद वेदांत सिर्फ़ जंगलों या आश्रमों में रहने वालों के लिए ही नहीं, बल्कि आम आदमी के लिए लाए थे।
रोज़मर्रा की ज़िंदगी में दिव्यता: यह जानना कि हम काम करते समय, बात करते समय या दूसरों की मदद करते समय भी भगवान में हैं।
उदाहरण: ऑफिस में काम करना भी भगवान की पूजा है, अगर इसे बिना किसी स्वार्थ के किया जाए। $\rightarrow$ 🏢 🛠� 🛐

8. निडरता और आत्मविश्वास
डर की जड़: स्वर्ग और नर्क का डर इंसान को कमज़ोर बना देता है। स्वामी का यह विचार इंसान को निडर बनाता है।
आत्मा की शक्ति: अगर भगवान हमारे अंदर हैं, तो हमें बाहर से क्यों डरना चाहिए? यह आत्मविश्वास इंसान को सभी मुश्किलों से उबरने की ताकत देता है।
उदाहरण: राजा हरिश्चंद्र ने सब कुछ खो दिया, फिर भी वे सच पर अडिग रहे, क्योंकि उन्हें अपनी अंदर की ताकत पर भरोसा था।
$\rightarrow$ 💪 🦁 🛡�

9. सामाजिक बराबरी और नज़रिया
भेदभाव खत्म होता है: जब भगवान हर जगह होते हैं, तो जाति, धर्म या अमीर-गरीब का भेदभाव अपने आप खत्म हो जाता है।
इंसानियत की सेवा ही भगवान की सेवा है: हर इंसान में भगवान को देखना और उनकी सेवा करना, यही भक्ति का सही मतलब है।
उदाहरण: किसी भूखे को खाना देना किसी मंदिर में पूजा करने से भी बड़ी सेवा है। $\rightarrow$ 🧑�🤝�🧑 🥣 💖

10. निष्कर्ष सारांश
अंतिम सत्य: स्वामी विवेकानंद के ये कोट्स हमें बताते हैं कि सत्य, ईश्वर और मोक्ष तुरंत और अंदर के हैं। वे भविष्य में या दूर कहीं नहीं हैं।
दो मुख्य काम: (1) सारा अहंकार छोड़ना और (2) सभी अंधविश्वासों को दूर करना।
प्रकाशमय जीवन: जब कोई व्यक्ति इस शरीर में रहते हुए ईश्वर की उपस्थिति में रहता है, तो उसका जीवन ज्ञान और आनंद के शाश्वत प्रकाश से भर जाता है।
$\rightarrow$ 💯 🌈 🌟

आर्टिकल सारांश इमोजी: 💡🕉�👑🧠❌🧘�♂️💪💖✨📜

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-09.12.2025-मंगळवार.
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