ग्रीष्म ("निसर्गकविता")

Started by shashaank, April 12, 2012, 02:45:59 PM

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shashaank

 ग्रीष्म   
प्रेषक हेमंत राजाराम (गुरु., २४/०५/२००७ - १५:११)


कोरड्या नभातुन| सूर्य वरुन|
ओकतो आग भवताली||
हा तप्त वात| फिरतो उन्हात|
उडवीत धूळ वरखाली ||

करपली जुई| सुकली जाई,
ती गलितगात्र झालेली||
टाकले अंग| उतरला रंग|
ही विकल वेल सुकलेली||

वणवणे वनी| व्याकुळ हरिणी|
मृगजळास शोधित जाई||
भासते जरी| ते जवळ तरी|
भुलवीत दूर तिज नेई||

हा गज तृषार्त| शोधात व्यर्थ|
पाण्याच्या चालत राही||
घेइना झेप| वनराज गप्प|
बलहीन जळाविण होई||

सळसळत नाग| शमविण्या आग|
बघ मोरपिसार्‍याखाली||
दुमडला फणा| मोडला कणा|
त्या निळ्या सावलीखाली||

शत्रुत्व सरे| तो गर्व हरे|
ऋतु ग्रीष्म करी अगतीक||
या दाहि दिशा| होऊन पिशा|
मागती जळाची भीक||

केदार मेहेंदळे


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