ए आई नको ना गं मला अशी छळू

Started by amoul, April 16, 2012, 12:21:58 AM

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amoul

ए  आई  नको  ना  गं  मला  अशी  छळू,
नको   ना  गं  माझ्या  मागे  पळू.
नको  मला  पाठवू  नाचायच्या  क्लासला,
गाण्याचा  क्लासही  शिकायचा  नाही.
ए  आई ........ए  आई .

होईन   गं  मी  खूप  खूप  मोठी,
राहीन  आधार  बनून  तुझ्याच  गं पाठी,
मोठी  झाल्यावर  खूप  कमावीन  नावं,
मग  खा  तुला  खायचा  असेल  तितका  भावं.
पण  आता  जरा  थांब  अशी  करू  नको  घाई. 
ए  आई ........ए  आई.

माझ्यावर  कितीतरी  अभ्यासाचा  ताण,
एकएक  अपेक्षांचा  टोचतो  गं  बाण,
उंच  उंच  आकाशात  उडायचे  पण,
मोठेपणासाठी  विसरतेस  माझे  बालपण.
नको  त्या  अटटाहासासाठी  मला  पळवीशी  दिशा  दाही.
ए  आई ........ए  आई.

तुझ्या  बालपणीच्या  भावनांचा  कोंडमारा,
अल्लडश्या  वयामध्ये  संसाराचा  पसारा,
घरासाठी  झिझण्यात  जन्म  गेला  पुरा,
माझ्या  रुपात  इच्छा  पुऱ्याकरतेस  साऱ्या.
पण  तुझी  हि   इवली  कळी  पार  थकुनिया  जाई.
ए  आई ........ए  आई.

मला  वाचु देत  साने  गुरुजी,  गांधी  आंबेडकर,
वीर  राणी  झाशीची,  वीर  सावरकर,
खेळू  दे  लंगडी,  लपाछुपी  बांगड्यांच्या  काचा,
competition च्या  नावाचा  किती  गं  हा  लोचा.
थोडं  थांब  पिल्लू  घेईलभरारी  जगाच्या  आकाशी.
ए  आई ........ए  आई.

................अमोल

केदार मेहेंदळे

khupach chan.... halli mulanvar khrokharach palkanchya apekshancha fat taan asto.