थेम्बासम वाटे करावा प्रवास

Started by amoul, May 26, 2012, 01:14:13 AM

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amoul

 तुझ्या  केसांत  ओल्या  वाहत्या  नदीचा  भास,
निसटत्या  थेम्बासम  वाटे  करावा  प्रवास.
कधी  वाटे ओघळावे  तुझ्या  गालावर,
कधी  घ्यावा  झोका  कानी  कुंतलांना,
तुझ्या  झुमक्यांना  घेऊन गिरकी,
भिजवावं  तुझ्या  उतरत्या  खांद्यांना.
वा  उतरावं  मानेमागून  थेट  पाठीवर,
मदनाला  व्हावा हेवा  थेंबाच्या  नशिबावर.
कधी  उतरावं  मानेवर  तिथून  गुप्त  प्रवास,
सरकन निथळत  जावं भिडावं  उरास.
एक  थेंब  विरघळावा  तुझ्या  नाळेपाशी जरा,
जन्माची  भेट  व्ह्वावी  जिथे  असते  परा.
पुढचा  प्रवास  शब्दात  न  सांगता  येण्यासारखा,
शब्दाहून  निराळा आणि शब्दांना  पारखा.
एक  थेंब  जाऊन  विरावा  तुझ्या  पायापाशी,
निशब्द  निस्तब्ध  उभा  मुक्तीच्या  दाराशी.

................अमोल

shashaank

faarach sundar, alwar paddhateene maandalay......... great......

केदार मेहेंदळे






Swateja