" पाउस "

Started by कवि - विजय सुर्यवंशी., August 05, 2012, 06:25:14 PM

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कवि - विजय सुर्यवंशी.

  "  पाउस "
" पाउसही आता बदललाय,
   नभाऐवजी तुझ्या डोळ्यात उतरलाय.
   वायुलहरीवर मोगऱ्याचा गंध पसरलाय,
   पण त्यालाही तुझ्याच आठवणींचा किनारा लाभलाय....."
                  कविवर्य  - विजय अरुण सुर्यवंशी.
                                       ( यांत्रिकी अभियंता ) 

केदार मेहेंदळे


मिलिंद कुंभारे


कवि - विजय सुर्यवंशी.

 :) thank u kedarji and milindji..

rudra

पाउसही आता बदललाय,
   नभाऐवजी तुझ्या डोळ्यात उतरलाय.

waaaaah..kya baat hai... :) :) :'(

कवि - विजय सुर्यवंशी.