आज

Started by sudhanwa, August 06, 2012, 11:38:43 PM

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sudhanwa

आज
स्तब्ध जाहले ब्रह्म आज
रक्त बरसती मेघराज
शब्दचं उरले अस्त्र आज

भ्रष्ट माजले कर्ते आज
कष्ट सोशिले वर्ण आज
नष्ट भासला देश आज

लोभ पाहतो जनसमाज
वित्त जोडतो फक्त आज
गर्व जिंकीतो स्वर्ग आज

वीरतेला गंज आज
छाती तोडी तंतु आज
त्यक्त जाहला धर्म आज

मति वाटशी मंद आज
गती चालती संथ वाट
दृष्टि खुंटली पूर्ण आज

पिढी बाधली सर्व आज
मद्य प्राशती तुर्क आज
सत्य सांगतो वर्त हाच

उदास वाटे प्रातः आज
संधी साधतो हा प्रकाश
गर्तात गेली सांज आज

घोर कलीची रात आज
लुप्त होईल का ती आज
जागेल का रे ब्रह्म आज ?
                             सुधन्वा

केदार मेहेंदळे

khupach sundar kavita....

mitra kharach chan rachana.... ani shabdanchi badhani awadli

sudhanwa

dhanyawaad kedar saheb...
तुमचे अभिप्राय नेहमीच प्रेरणा देतात  :)