तुझी आठवण

Started by Sameer Nikam, September 21, 2012, 02:43:31 PM

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Sameer Nikam

गेलीस  तू  माझ्या  पासून  खूप  दूर
तरीही  जीवाला  कसली  हि  हूर हूर ..

इतक्या  सुंदर  मुली  असतानाही  तुझ्यात  मी  रमलो
तुझ्या  खोट्या  गोजिरवाण्या  रुपाला  मी  फसलो

विसरायचे  आहे  तुझे  ते  रूप .. विसरायचे  आहे  तुझे  ते  रूप
तरीही  नाही  मिटत  मनाची हि  भूक

कुठे  रमवू मी  स्वताला... कुठे  रमवू मी  स्वताला...
नाही  काळात  माझ्या  या  वेड्या  मनाला

जाशील  तू  माझ्या  मनातून  खूप  दूर
जेव्हा  माझ्या  अश्रूचा  येईल  पूर

काय  करू  काही  कळेना ......
तुझ्या  आठवणी  काही  केल्या  जाईना

रात्रीच्या  काळोखात  मी  ढसा ढसा रडलो
क्षणभर थांबून  पुन्हा  तुझ्या  आठवणीत  मी गुंतलो


विसरावे  तुला  म्हणून  रात्र  भर  ओढला  सिगारेट  चा  कश ..
पण  पहाट  होता  होता  नाही  उरला  माझ्यात  होश ..

सारे  संपले  तुझ्या  आठवणीत   
शेवटी  मीच  गेलो  मातीच्या  कुशीत ....




कृपया कविता वाचल्यावर आपल्या प्रतिकिया द्याव्या कारण मी या क्षेत्रात नवीन आहे धन्यवाद
समीर स निकम

Sameer Nikam

कृपया कविता वाचल्यावर आपल्या प्रतिकिया द्याव्या कारण मी या क्षेत्रात नवीन आहे धन्यवाद
समीर स निकम

केदार मेहेंदळे

hi virah kavita aahe. krupaya admin la sangun shift kara